जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. क़ुरैशी समाज उत्तर प्रदेश की 40 विधान सभा सीटों पर हार-जीत को तय करता है लेकिन सपा और बसपा ने सिर्फ़ उन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल और इन्हीं के शासन में क़ुरैशी समाज का सबसे ज़्यादा उत्पीड़न हुआ. अब कांग्रेस ने क़ुरैशी समाज के अधिकार और सम्मान की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है.
अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा स्पीक अप माइनोरिटी कैंपेन के तहत आज रविवार को प्रत्येक ज़िला- शहर, और प्रदेश पदाधिकारियों ने फेसबुक लाइव के माध्यम से क़ुरैशी समाज का सवाल उठाते हुए यह बातें कहीं. अल्पसंख्यक कांग्रेस हर रविवार को यह अभियान चला रही है. आज इसका तीसरा चैप्टर था.
अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि क़ुरैशी समाज पूरे प्रदेश में क़रीब 7 प्रतिशत है, जबकि समाजवादी पार्टी का जातिगत जनाधार सिर्फ़ 5 प्रतिशत है. लेकिन समाजवादी पार्टी जो क़ुरैशी समाज के पैसों से ही खड़ी हुई उसे सपा ने पिछड़ा वर्ग में आने के बावजूद रोजगार में हिस्सेदारी नहीं दी. बल्कि उसके हिस्से को भी अपने सजातीय लोगों में बांट दिया.
उन्होंने कहा कि भीड़ हिंसा में सबसे ज़्यादा क़ुरैशी समाज के लोगों की हत्या हुई लेकिन सपा और बसपा ने कभी इस पर सवाल नहीं उठाया. जबकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने भीड़ हत्या के खिलाफ़ क़ानून बनाने के लिए बिल भी पास किया.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 2007 में बसपा शासन में कुरैशी समाज पर सबसे ज्यादा रासुका लगाई गई. वहीं 2012 में आई सपा सरकार में कुरैशी समाज की सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं और सबसे ज्यादा मीट के गोदामों पर सील लगाई गई.
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स्पीक अप माइनोरिटी अभियान के तहत आज सपा से अल्पसंख्यक कांग्रेस ने ये तीन सवाल पूछे कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार ने 2012 से 2017 के बीच कितने आधुनिक स्लाटर हाउस बनवाये? अखिलेश सरकार ने मीट बेचने वाले छोटे दुकानदारों के कितने लाइसेंसो का नवीनीकरण किया? और अखिलेश सरकार के कार्यकाल में कानपुर सहित पूरे प्रदेश में टेनरियों को क्यों बन्द किया गया?