Wednesday - 7 August 2024 - 7:10 PM

बसपा कांग्रेस में रार चरम पर, ये हैं वजह

स्पेशल डेस्क

लखनऊ। यूपी में सपा-बसपा एक साथ चुनावी मैदान में बीजेपी को हराने की बात कह रहे हैं जबकि महागठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं दी गई थी। इसके बाद कांग्रेस ने सपा-बसपा से अलग होकर यूपी में चुनावी मैदान में उतर रही है। कांग्रेस यूपी में अपनी साख को बचाने के लिए प्रियंका गांधी को उतार दिया है। प्रियंका के आने के बाद से कांग्रेस में नई जान आ गई है। प्रियंका की मौजूदगी से यूपी में लोकसभा चुनाव काफी रोचक हो गया है। ऐसे में बीजेपी के आलावा सपा-बसपा भी कांग्रेस को कई मौकों पर घेर रही है।

मायावती ने कांग्रेस को घेरा

आलम तो यह है कि मायावती अपनी रैलियों में बीजेपी के बाद कांग्रेस को भी अपने निशाने पर ले रही है। दूसरी ओर मौका देखकर अखिलेश यादव कांग्रेस को अपने रडार पर लेते हुए नजर आ रहे हैं। इसके बदले में राहुल गांधी बंदायु में सपा-बसपा पर निशाना साधा था, हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी थी। उधर सपा को छोड़ बसपा लगातार कांग्रेस को घेर रही है।

दलित वोटों को खेल को लेकर मची है रार

दलित वोटों के खेल में कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश में मायावती लगी हुई है। ऐसे में दलित वोटों को लेकर कांग्रेस और बीएसपी में रार बढ़ गई है। कांग्रेस इस लोकसभा के आलावा उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में भी लगी हुई है। ऐसे में बसपा को यह पता है कांग्रेस को यहां पर नहीं रोका गया तो उसका वोट बैंक खतरे में पड़ सकता है। थोड़ा पीछे जाये तो कांग्रेस की पकड़ दलित, सवर्णों में ब्राöण पर अच्छी खासी हुआ करती थी।

कांग्रेस प्रियंका गांधी के सहारे दोबारा यहां पर अपनी जमीन को तलाश रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस चुनाव को नहीं बल्कि 2022 चुनाव को ध्यान में रखकर अभी से तैयारी कर रही है। प्रियंका ने कुछ ऐसी सीटों को लेकर रणनीति बनायी है। जानकारी के मुताबिक यूपी की 40 सीटों पर कांग्रेस की पैनी नजर है। यहां पर दलित मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से ज्यादा बतायी जा रही है। इस सीट को बसपा का गढ़ कहा जाता है। करीब 25 सालों से बसपा यहां पर राज कर रही है।

कांग्रेस ने खड़ी की बसपा के लिए परेशानी

आलम तो यह रहा है मौजूदा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए बसपा कोई सीट छोडऩे को तैयार नजर नहीं आ रही है। बसपा ने इसके पीछे तर्क दिया है कि कांग्रेस अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाती है। कांग्रेस ने नसीमुद्दीन सिद्दकी को अपनी पार्टी में जगह दी है और वह बिजनौर से ताल ठोंक रहे हैं।

मायावती को इससे भी परेशानी हो सकती है। उधर मध्य प्रदेश में के शिवपुरी-गुना लोकसभा सीट से बीएसपी प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह चौहान कांग्रेस का दामन थाम लिया है और इस वजह से मायावती ने कांग्रेस से समर्थन वापसी की बात कह दी है। अब देखना होगा कि बसपा और कांग्रेस में दलित वोट को लेकर छिड़ी राह से किसको फायदा होगा।

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