न्यूज डेस्क
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपने नेताओं के दूसरे पार्टियों में जाने से नहीं रोक पा रही है। कई राज्यों में पार्टी के दिग्गज नेता दूसरे दल में शामिल हो चुके हैं। 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद से ही नेताओं को कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टियों में जाने का सिलसिला बना हुआ है और अब भी जारी है। इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अब अपने नेताओं की संख्या गिन रही हैं।
पार्टी आलाकमान ने राज्य इकाइयों से पुराने और मौजूदा राज्यसभा और लोकसभा सांसदों का ब्यौरा जुटाने का आदेश दिया है। हाल के समय में पार्टी नेताओं के दूसरे पाले में जाने की रफ्तार को देखते हुए कांग्रेस ने अपने राज्य इकाइयों से पिछले तीन लोकसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों की डीटेल मांगी है। कांग्रेस ने 2004 के बाद से राज्यसभा के लिए चुने गए सांसदों की भी डीटेल मांगी है जिन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है।
एक अप्रत्याशित और आपातकालीन संदेश भेजकर कांग्रेस ने अपने राज्य इकाइयों से सांसदों की डीटेल उपलब्ध कराने को कहा है। 2004, 2009, और 2014 में निर्वाचित हुए लोकसभा सांसदों और राज्यसभा भेजे गए नेताओं के नाम निकालने का काम आसान काम होता, लेकिन सच्चाई यह है कि इनमें से कई कांग्रेस छोड़ चुके हैं। अभी यह जानकारी भी नहीं है कि हाल के वर्षों में कितनों ने पार्टी छोड़ी है।
मौजूदा नेताओं की डीटेल को ट्रैक करने से यह संकेत जाता है कि पिछले छह सालों में बीजेपी और अन्य विरोधी पार्टियों द्वारा नेताओं को अपने पाले में शामिल करने के चलाए जा रहे अभियान के बाद भी कांग्रेस के पास अपने लोकप्रिय नेताओं की सटीक जानकारी नहीं थी।
मामले की गंभीरता को तब समझा जा सकता है जब कांग्रेस संगठन के प्रभारी महासचिव के.सी.वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी द्वारा आयोजित मीटिंग में तीन पॉइंट अजेंडा- महात्मा गांधी की 150 जयंती, कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण और सदस्यता अभियान के साथ इस मुद्दे को उठाया।
नेताओं के बारे में जानकारी जुटाना दरअसल, उन्हें संगठन और भविष्य के चुनाव के लिए शॉर्टलिस्ट करने की भी शुरुआत हो सकती है। कांग्रेस से नेताओं के निकालने का सिलसिला 2014 में बीजेपी की जीत के बाद शुरू हुआ। इसने कांग्रेस की चुनावी बल को राज्यों में भी कमजोर किया। चुनावों में मिली हार से पार्टी में कई लोगों का मानना था कि यह संगठन में सालों से हो रही अनदेखी के कारण हुआ है।