न्यूज डेस्क
केन्द्र सरकार द्वारा पिछले दिनों जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी किया और लद्दाख को अलग केन्द्रशासित राज्य बनाया तो पाकिस्तान के साथ-साथ चीन ने भी आपत्ति जतायी थी। चीन बार-बार कह रहा है कि ये कदम इसकी क्षेत्रीय संप्रभुता के खिलाफ है।
लद्दाख पर चीन की इस प्रतिक्रिया पर लद्दाख से भाजपा सांसद जमयांग शेरिंग नामग्याल का कहना है कि आज चीन इतना बड़बोलापन दिखा रहा है तो इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।
मालूम हो कि जमयांग शेरिंग नामग्याल संसद में अनुच्छेद 370 पर अपने जोशीले भाषण से चर्चा में आए थे। नामग्याल का मानना है कि कांग्रेस के शासन में इस क्षेत्र को रक्षा नीतियों में उचित तवज्जो नहीं दी गई और इसलिए ‘चीन ने डेमचोक सेक्टर के उसके इलाके तक कब्जा कर लिया।
पहली बार सांसद बने नामग्याल ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने शत्रुतापूर्ण स्थितियों में ‘तुष्टीकरण’ की नीति का पालन करके कश्मीर को बर्बाद कर दिया और लद्दाख को भी काफी क्षति पहुंचाई।
नामग्याल ने यह बातें एक साक्षात्कार में कही। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ‘फॉरवर्ड पॉलिसी’ अपनाई जिसमें कहा गया कि हमें एक-एक इंच चीन की ओर बढऩा चाहिए, लेकिन जब इसका कार्यान्वयन किया गया तो यह ‘बैकवर्ड पॉलिसी’ बन गई। चीनी सेना लगातार हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करती चली गई और हम लगातार पीछे हटते चले गए।
सांसद ने कहा कि यही वजह है कि अक्साई चीन पूरी तरह से चीन के नियंत्रण में है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान डेमचोक ‘नाला’ तक पहुंच गए क्योंकि लद्दाख को कांग्रेस के 55 वर्षों के शासन में रक्षा नीतियों में उचित तवज्जो नहीं मिली।
मालूम हो कि पिछले साल जुलाई में चीन और भारत की सेनाओं के बीच तब गतिरोध पैदा हो गया था जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने डेमचोक के समीप भारत द्वारा अपने ही क्षेत्र के समीप ‘नाला’ या नहर बनाने पर आपत्ति जतायी थी। इस साल जुलाई में चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार कर गई और डेमचोक सेक्टर में घुस गई।
इससे पहले कुछ तिब्बतियों ने दलाई लामा के जन्मदिन के मौके पर तिब्बत के झंडे लहराए थे। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बाद में कहा था, ‘कोई घुसपैठ नहीं हुई। चीनी आए और उन्होंने अपनी मानी हुई वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त की।
लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से रक्षा के परिप्रेक्ष्य से कैसे चीजें बदलेंगी, इस पर सांसद नामग्याल ने कहा कि क्षेत्र को अब अपनी उचित महत्ता मिलेगी। तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा घोषित की गई पुनर्वास परियोजना के क्रियान्वयन से सीमा पर गांवों से पलायन खत्म होगा। उन्होंने कहा कि जब मोदी सरकार के नेतृत्व में इन इलाकों में सड़कों, संपर्क, स्कूल और अस्पताल समेत शहर जैसी सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी तो सीमाएं सुरक्षित बन जाएंगी।
कश्मीर के साथ रहने से लद्दाख को हुए नुकसान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां सिर्फ एक डिग्री कॉलेज है जो कश्मीर विश्वविद्यालय के तहत आता है। अगर कभी किसी से नाम में गलती हो जाती है तो छात्र को इसे सही कराने के लिए श्रीनगर जाना पड़ता है। अगर कहीं कश्मीर के हालात ठीक नहीं रहे तो लद्दाखी छात्र को तीन साल का पाठ्यक्रम पूरा करने में पांच साल लग जाते हैं।
स्थानीय लोगों की इन आशंकाओं पर कि बाहरी लोग जमीन खरीदेंगे और लद्दाख के पर्यावरण को बर्बाद कर देंगे, इस पर भाजपा सांसद ने लोगों को आश्वासन दिया कि ऐसी कोई चीज नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि बड़ी मछलियां (बाहरी लोग) छोटी मछलियों को खा जाएंगी। लद्दाख की भूमि उसके लोगों की है। लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद कानून, 1997 के अनुसार भूमि से संबंधित मामले एलएएचडीसी के तहत आते हैं।
नामग्याल ने केंद्र से लद्दाख की भूमि, संस्कृति और पहचान की रक्षा करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची के तहत उसे एक आदिवासी क्षेत्र घोषित करने का अनुरोध किया।
लद्दाख की आबादी
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, लद्दाख की जनसंख्या 2 लाख 74 हजार है। लद्दाख में मुख्य रूप से तीन धर्म के लोग रहते हैं। पहला बौद्ध, दूसरा मुस्लिम और तीसरा ईसाई। लद्दाख की जनसंख्या लेह और कारगिल में बंटी हुई है।
लेह में बौद्ध बहुसंख्यक हैं वहीं कारगिल में मुसलमानों की जनसंख्या ज्यादा है। लेह, लद्दाख का सबसे बड़ा जिला है और सभी प्रशासनिक काम यहीं होते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक लद्दाख में 113 गांव है।