न्यूज डेस्क
चुनावी राजनीति में लगातार पिछड़ती जा रही कांग्रेस अपनी नींव मजबूत करने के लिए फिर से पूराने सहयोगियों की ओर किया है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बड़ा बयान दिया है। शिंदे ने उम्मीद जाहिर की है कि भविष्य में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) एक साथ आएंगे।
सोलापुर में चुनाव प्रचार के दौरान सुशील कुमार शिंदे ने अपने सहयोगी दल एनसीपी को लेकर राय रखी। शिंदे ने कहा, ‘कांग्रेस और एनसीपी दोनों बराबर हैं। हम दोनों एक ही पेड़ के नीचे बड़े हुए हैं। इंदिरा गाधी और यशवंत राव चव्हाण के नेतृत्व में आगे बढ़े हैं।’
इसके आगे शिंदे ने कहा कि साथ न आने का दिल में अफसोस है और मुझे उम्मीद है कि पवार (एनसीपी प्रमुख शरद पवार) को भी होगा। इस बयान के साथ ही शिंदे ने उम्मीद जताई कि एक दिन कांग्रेस इकट्ठा होगी।
लगातार चुनावी राजनीति में पिछड़ती जा रही कांग्रेस और एनसीपी के विलय की बात पहले भी हो चुकी है। लोकसभा चुनाव 2019 के बाद भी इसका जिक्र चला था, लेकिन शरद पवार ने आधिकारिक तौर पर इसे नकार दिया था। हालांकि, इसके बाद एक इंटरव्यू में पवार ने बताया था कि कांग्रेस को लगता है दोनों पार्टियों को साथ आना चाहिए।
अब सुशील कुमार शिंदे के बयान ने इस चर्चा को और हवा दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों दलों के विलय में लीडरशिप एक बड़ी अड़चन है। ये भी चर्चा का केंद्र है कि क्या कांग्रेस विलय की स्थिति में पवार और उनके ग्रुप को नेतृत्व सौंपेगी या नहीं।
बता दें कि शरद पवार देश के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं। पवार ने जवाहर लाल नेहरू के वक्त में कांग्रेस ज्वाइन की थी और यूथ कांग्रेस से अपनी पारी का आगाज किया था। लंबे समय तक कांग्रेस के साथ रहने के बाद 1999 में पवार कांग्रेस से अलग हो गए थे और अपनी पार्टी एनसीपी का गठन कर लिया था। पवार ने कांग्रेस के नेतृत्व के मसले पर ही पार्टी छोड़ी थी।
अब जबकि दोनों दल महाराष्ट्र में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और अपने-अपने वजूद को कायम रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में दोनों पार्टियों के विलय पर शिंदे का बयान काफी महत्वपूर्ण है।
जानकारों की माने तो शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर NCP बनाई थी। अगर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आ जाते हैं तो ये बीजेपी और शिवसेना के लिए खतरे घण्टी होगी और कांग्रेस की डूबती नाव के लिए संजवनी बूटी होगी।