जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में मंगलवार को बीजेपी के विधयाकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जिसके बाद सियासी गलियारे में हलचल मच गई। हालांकि नाराज विधायकों ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि, उनकी नाराजगी बेलगाम अफसरशाही को लेकर है। इसी बीच खबर है कि कमलनाथ सरकार को भी उनकी ही पार्टी के विधयाकों ने कटघरे में खड़ा कर दिया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का एक साल पूरा हो चुका है। लेकिन चर्चित ‘व्यापम घोटाले’ की जांच में सुस्ती को लेकर कांग्रेस के विधायकों ने सवाल खड़े करके अपनी ही सरकार को घेरा है।
कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी के सवाल पर गृहमंत्री की ओर से जो जवाब आया है वो चौंकाने वाला है। सरकार ने माना है कि व्यापम घोटाले पर सरकार की ओर से कोई श्वेत पत्र जारी नहीं किया जाएगा। साथ ही व्यापम घोटाले की जांच के लिए जो एसआईटी गठित की गई थी उसकी जांच में भी किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं की गई है।
बता दें कि कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी की ओर से गृह मंत्रालय से व्यापम के मुद्दे पर सवाल पूछे गए थे। कुणाल ने अपने सवाल के पहले हिस्से में पूछा था कि क्या पूर्व में व्यापम घोटाले की जांच में एसटीएफ ने गोलमाल किया और इसकी जांच के लिए बनी एसआईटी के निर्देशों की अवहेलना की? यदि हां तो क्या एसआईटी की पूर्व भूमिका को जांच में शामिल किया जाएगा?
इस पर गृहमंत्री बाला बच्चन की ओर से जवाब दिया गया कि, ‘जी नहीं, वस्तुस्थिति यह है कि व्यापम घोटाले की जांच 3 सदस्यीय एसआईटी (जिसके एक सदस्य रिटायर्ड हाईकोर्ट जज थे) के दिशा निर्देशों एवं पर्यवेक्षण में की गई।’
कांग्रेस विधायक हर्ष विजय गहलोत ने भी इस सम्बन्ध में सवाल किया। उन्होंने पूछा कि, क्या एसटीएफ 2006 से 2010 तक पीएमटी परीक्षा में हुए घोटाले की जांच करेगा। क्या सीबीआई 2009 से 2013 तक आयोजित आठ भर्ती परीक्षाओं की जांच कर रहा है। इस पर गृह मंत्रालय ने जवाब दिया कि, व्यापम घोटाले में एसटीएफ द्वारा 197 लंबित मामलों की जांच की जा रही है।
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