जुबिली न्यूज़ डेस्क
कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने PSC के सवाल पर नाराजगी जताते हुए कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया, “भील समाज पर प्रदेश शासन के प्रकाशन पर अशोभनीय टिप्पणी से आहत हूं। अधिकारी को तो सजा मिलनी ही चाहिए, परंतु मुख्यमंत्री को भी सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए। आखिर वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इससे अच्छा संदेश जाएगा।”
यह भी पढ़ें : क्या 15 साल की उम्र में मां बन गईं थी ऐश्वर्या ?
भील समाज पर प्रदेश शासन के प्रकाशन पर अशोभनीय टिप्पणी से आहत हूँ।अधिकारी को तो सजा मिलना ही चाहिए,परन्तु मुख्य मंत्री को भी सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए,आखिर वह प्रदेश के मुख्य मंत्री हैं।इससे अच्छा संदेश जाएगा।
— lakshman singh (@laxmanragho) January 13, 2020
बता दें कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की परीक्षा में भील समाज को लेकर पूछे गए सवाल से विवाद खड़ा हो गया है। MPPSC द्वारा रविवार को प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गई थी।
इस परीक्षा में भील समाज की निर्धनता को लेकर एक पैराग्राफ दिया गया और सवाल पूछे गए। सवाल में कहा गया, ‘आय से अधिक खर्च होने पर वे आर्थिक तौर पर विपन्न होते हैं।’ निर्धनता का कारण आपराधिक प्रवृत्ति को भी बताया गया था, साथ ही कहा गया कि इसके चलते वे अपनी सामान्य आय से देनदारियों पूरी नहीं कर पाते।
यह भी पढ़ें : ‘काम न करने वाले, बेकार पड़े निखट्टू अधिकारियों को बाहर किया जाएगा’
जिसे लेकर लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है। वहीं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी इस सवाल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे शर्मनाक करार दिया है। उन्होंने कहा, “आदिवासियों का देश की आजादी के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये हमारी संस्कृति के रक्षक हैं। PSC परीक्षा के प्रश्नपत्र में भोले भाले भीलों को आपराधिक प्रवृत्ति का बताया जाना शर्मनाक और सम्पूर्ण आदिवासी समाज का अपमान है। कमलनाथ तत्काल दोषियों पर कार्रवाई करें।
यह भी पढ़ें : तो क्या उद्धव इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो सकते हैं
दिग्विजय सिंह के घर के बाहर बैठ गए थे धरने पर
बता दें कि लक्ष्मण सिंह इससे पहले भी अपनी पार्टी के खिलाफ धरना दे चुके हैं. वह मध्यप्रदेश के चांचौड़ा को 53वां जिला बनाए जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और अपने बड़े भाई दिग्विजय सिंह के घर के बाहर धरने पर बैठ गए थे।
यह भी पढ़ें : बीजेपी अल्पसंख्यक के 48 कार्यकर्ताओं ने क्यों छोड़ी पार्टी