जुबिली स्पेशल डेस्क
अन्ना हजारे के सहारे केजरीवाल ने भारतीय राजनीति में एंट्री मारी थी और फिर आम आदमी पार्टी बनाकर दिल्ली में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने यहां पर लंबे अरसे तक सत्ता का सूख हासिल किया है लेकिन केजरीवाल के आने के बाद दोनों ही पार्टी इस वक्त वनवास काटने पर मजबूर है।
दिल्ली की राजनीति में उस वक्त बड़ा बदलाव हुआ जब कांग्रेस ने शीला दीक्षित को आगे बढ़ाने का फैसला किया। साल 1993 के बाद बीजेपी पूरी तरह से कमजोर हो गई थी और कांग्रेस उसके लिए बड़ी चुनौती साबित हुई।
1998 में कांग्रेस की शीला दीक्षित ने कांग्रेस की राजनीति को एक नई ऊंचाई प्रदान करते हुए 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की सत्ता पर कांग्रेस पार्टी ने राज किया लेकिन इसके बाद केजरीवाल के आगमन के बाद कांग्रेस की राजनीति पर ग्रहण लग गया और उसे वनवास में जाना पड़ा। हालांकि इस बार कांग्रेस एक बार फिर अपनी खोई हुई जमीन को हासिल करने में जुट गई है। इतना ही नहीं राहुल गांधी को इस बार वापसी का भरोसा है।
ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर अपनी खोई हुई जमीन को पाना चाहती है। अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस जमीनी स्तर पर मेहनत कर रही हैं ताकि इस बार के विधानसभा चुनाव में कोई करिश्मा किया जा
लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन मजबूती से मोदी के खिलाफ एकजुट हुआ था लेकिन राज्यों के चुनावों में ये पूरी तरह से पटरी से उतर गया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस अब उसको खुलेआम चुनौती दे रही है।
अभी तक कांग्रेस आम आदमी पार्टी को लेकर खुलकर मैदान में आने से बचती हुई नजर आई लेकिन कल राहुल गांधी की रैली से साफ हो गया है कि इस बार कांग्रेस नये तेवर के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरेंगी। इसी के तहत कांग्रेस लगातार जहां एक ओर मोदी सरकार को टारगेट कर ही है तो दूसरी तरफ उसके निशाने पर आम आदमी पार्टी खासकर केजरीवाल भी है।