जुबिली न्यूज डेस्क
अजित पवार ने रविवार को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही शिवसेना से बगावत के बाद मुख्यमंत्री बनने वाले एकनाथ शिंदे के नक्शेकदम पर पूरी तरह से चलना शुरू कर दिया है. अजित पवार ने राज्यपाल रमेश बैस को अपने समर्थक 40 एनसीपी विधायकों की सूची सौंपी है. विधानसभा में एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक अजित पवार जल्द ही एनसीपी पार्टी के नाम और चुनाव निशान को हासिल के लिए चुनाव आयोग के सामने अर्जी पेश कर सकते हैं. इससे पहले अपने राजनीतिक गुरु और चाचा शरद पवार को एक बड़ा झटका देते हुए एनसीपी के अजीत पवार शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए.
महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर पुणे एनसीपी अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने कहा, ‘2 जुलाई को अजित पवार ने जो बीजेपी सरकार के साथ शामिल होने का निर्णय लिया, उसके बाद सभी एनसीपी समर्थकों ने पुणे में शरद पवार के साथ रहने का फैसला किया है और हम उनका समर्थन करते रहेंगे. हमारी बीजेपी और RSS के खिलाफ जंग हमेशा कायम रहेगी. हम ये लड़ाई जरूर लड़ेंगे और जीतेंगे.’
कांग्रेस ने किया ये बड़ा दावा
यह स्वीकार करते हुए कि अजित पवार के विद्रोह ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को ‘निश्चित रूप से कमजोर’ कर दिया है, कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र के नए उपमुख्यमंत्री एनसीपी की ‘सबसे कमजोर कड़ी’ थे और उनका सत्ता में आना ‘हैरान’ करने वाला नहीं है’. उन्होंने कहा, ‘इसमें आश्चर्य करने जैसा कुछ भी नहीं है. अजित पवार सीएम बनने के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन अब वह उपमुख्यमंत्री बन गए हैं. अजित पवार के पास संख्या है. दलबदल कानून को पढ़ने से यह पता चलता है कि विभाजन के बाद विधायकों को किसी पार्टी में शामिल होना होगा, लेकिन शिंदे समूह ने ऐसा नहीं किया.’
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अजित पवार से कभी नहीं लड़ सकती
एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष एवं अजित पवार की चचेरी बहन सुप्रिया सुले ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके (अजित पवार के) भिन्न विचार हो सकते हैं, लेकिन वह अपने बड़े भाई से कभी नहीं लड़ सकतीं और हमेशा एक बहन की तरह उनसे प्रेम करेंगी. सुले ने कहा कि 2019 में जब अजित पवार पहली बार देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली अल्पकालिक सरकार का हिस्सा बने थे, तब से अब तक वह पार्टी की जिम्मेदारियों को लेकर काफी परिपक्व हो गई हैं. बताया जा रहा है कि पिछले महीने सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना अजित पवार के विद्रोह का कारण बना.