न्यूज डेस्क
यूपी का राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह है कि राज्य का तीसरा सबसे बड़ा वोट बैंक ‘ब्राह्मण’ जिसकी तरफ खड़ा हो जाता है अक्सर उसी के पास कुर्सी भी होती है। यूपी की राजनीति में ब्राह्मण वर्ग का लगभग 10% वोट होने का दावा किया जाता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भले ही मुस्लिम-दलित आबादी 20-20% हो लेकिन रणनीति और समझदारी से वोटिंग के मामले में ब्राह्मणों से बेहतर कोई नहीं है। ब्राह्मणों की इसी खासियत ने उन्हें हर पार्टी नेतृत्व के करीब रखा।
लेकिन ये बात भी सच है कि कभी सियासत और सत्ता के ‘ड्राइवर’ रहे ब्राह्मण अब ‘स्टेपनी’ हो गए हैं। ये कहना गलत न होगा कि ब्राह्मणों की भूमिका बदली और वो ‘ड्राइविंग फ़ोर्स’ की जगह ‘सपोर्टिव वोट बैंक’ में बदल गए हैं। सत्ता में न सिर्फ उनकी भागीदारी कम होती गई बल्कि उन्हें वक्त के साथ अपनी प्रासंगिकता बचाए रखने के लिए सपा-बसपा जैसी उन पार्टियों के साथ भी खड़ा होना पड़ा, जिनकी राजनीति का आधार ही ब्राह्मणों की सत्ता को चुनौती देना था।
मंडल आंदोलन के बाद यूपी की सियासत पिछड़े, दलित और मुस्लिम केंद्रित हो गई। नतीजतन, यूपी को कोई ब्राह्मण सीएम नहीं मिल सका। ब्राह्मण एक दौर में पारंपरिक रूप से कांग्रेस के साथ था, लेकिन जैसे-जैसे कांग्रेस कमजोर हुई यह वर्ग दूसरे ठिकाने खोजने लगा। मौजूदा समय में वो बीजेपी के साथ खड़ा नजर आता है।
कांग्रेस उन्हें दोबारा अपने पाले में लाने की जद्दोजहद कर रही है। इसकी कमान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी के वरिष्ठ ब्राह्मण नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को दी है। जितिन प्रसाद ब्राह्मणों का दिल जीतने के लिए और उनके घाव पर मरहम लगाने के लिए ‘ब्राम्हण चेतना यात्रा’ निकाल रहे हैं।
Visiting Mainpuri to offer my condolences to the aggrieved family of Subash Pandey. His daughter passed away under mysterious circumstances, no headway in the case after repeated assurances from the govt. Will also be meet local Cong workers to assess things on the ground. pic.twitter.com/hQvM9swB9D
— Jitin Prasada (@JitinPrasada) November 18, 2019
‘ब्राम्हण चेतना यात्रा’ के जरिये जितिन प्रसाद उन ब्राह्मणों के घर जायेंगे, जिनके परिवार के किसी सदस्य की बीते दिनों हत्या कर दी गई है। जितिन प्रसाद इस दौरान न सिर्फ हत्या पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते नजर आयेंगे, बल्कि सूबे की कानून-व्यवस्था को लेकर भी योगी सरकार पर जमकर निशाना साधते नजर आयेंगे।
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ब्राम्हण चेतना यात्रा की शुरूआत आज मैनपुरी से करेंगे। जितिन प्रसाद मैनपुरी शहर के मोहल्ला गोपीनाथ अड्डा निवासी निवासी सुभाषचंद्र पांडेय के घर पहुंचकर उन्हें ढांढस बंधाकर उनके प्रति अपनी संवेदना जतायेंगे।
बता दें कि बीते 16 सितम्बर को मैनपुरी के भोगांव स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के कक्षा 11 में पढ़ने वाली सुभाषचंन्द्र पांडेय की 16 वर्षीय बेटी अनुष्का पांडेय की संदिग्ध मौत हो गई थी। विद्यालय प्रशासन जहां छात्रा द्वारा फांसी लगाये जाने का दावा कर रहा था। तो वहीं परिजनों द्वारा इसे हत्या बताकर स्कूल के प्रिंसिपल वार्डन समेत तीन के खिलाफ बलात्कार और हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
बता दें कि योगी सरकार पर ब्राह्मणों की उपेक्षा का आरोप लगता रहा है। वहीं, पिछले दो महीने में कई ब्राम्हणों की हत्या हुई है। ब्राम्हण चेतना यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद सभी के घर जाएंगे। 9 अक्टूबर को बस्ती में छात्रनेता आदित्य तिवारी की हत्या हुई। इसके अलावा 12 अक्टूबर को झांसी में आग लगाकर उदैनिया परिवार के 4 सदस्यो की हत्या कर दी गई।
18 अक्टूबर को राजधानी लखनऊ में हिन्दुवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या हुई। 19 अक्टूबर को मेरठ में अधिवक्ता मुकेश शर्मा की हत्या हुई। दीपावली के दिन 28 अक्टूबर को कन्नौज में 20 वर्षीय अमन मिश्रा की हत्या कर दी गई। 28 अकटूबर को ही लखीमपुर खीरी में पत्रकार रमेंश मिश्रा की हत्या कर दी गई। 29 अक्टूबर को अमेठी में पुलिस हिरासत में सत्य नारायण शुक्ला की मौत हो गई थी।
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ब्राम्हण चेतना यात्रा के दौरान पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड और पूर्वांचल के हर हिस्से में पहुचेंगे। बल्कि इस ब्राह्मण चेतना यात्रा के जरिये नेता, वकील, पत्रकार, छात्र और महिला जैसे समाज के हर वर्ग से जुडे लोगों के प्रति अपनी संवेदना जताकर कांग्रेस से हर वर्ग को जोड़ने का प्रयास करेंगे।
गौरतलब है कि यूपी की सत्ता में हासिए पर खड़ी कांग्रेस फिर से अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लोकसभा चुनाव में ओबीसी और पिछड़े वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की कोशिश नाकाम होने के बाद अब पार्टी ब्राह्मण वोट बैंक पर निगाह बनाए हुए है।
बता दें कि कांग्रेस ने मंडल कमीशन लागू होने से पहले ब्राह्मणों को आठ बार यूपी का सीएम बनवाया। जिनमें से तीन बार नारायण दत्त तिवारी और पांच बार अन्य ब्राह्मण नेताओं को कुर्सी दी गई। पांच दिसंबर 1989 के बाद कांग्रेस यूपी की सत्ता से दूर होती गई।
इसके बाद ब्राह्मण अलग-अलग पार्टियों के हो गए। बीजेपी के बाद बसपा ने भी उनका समर्थन हासिल किया। यानी बसपा भी ब्राह्मणों के प्रभाव से बच नहीं पाई। मुस्लिमों,दलितों से कम आबादी होने के बावजूद ब्राह्मण सभी पार्टियों के अहम पदों पर है।