अविनाश भदौरिया
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 11 अप्रैल को मतदान होना है। सभी राजनीतिक दलों ने ज्यादातर लोकसभा क्षेत्रों से अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है और चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। राजनीतिक पंडितों ने अपनी गणित लगाना शुरू कर दिया है और सर्वे आने भी शुरू हो गए हैं। हाशिए पर पहुंच चुकी कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में वापसी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दिल्ली के लिए यूपी की अहमियत को समझते हुए पार्टी ने प्रियंका गांधी और ज्तोतिरादित्य सिंधिया को संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
यहां तक की सपा-बसपा को भी कांग्रेस से खतरा महसूस होने लगा है। यही वजह है कि अपनी साख बचाने की जद्दोजहद में लगी मायावती लगातार कांग्रेस पर हमले बोल रही हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने जुबिली पोस्ट से बातचीत के दौरान यूपी में 20 सीटें जीतने का दावा पेश किया है। वहीं जब हमने बीजेपी के एक प्रवक्ता से बातचीत की तो उन्होंने कांग्रेस को प्रदेश में जीरो सीट मिलने की बात कही। हालांकि सियासी माहौल का आकलन करने पर इस चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। सूबे की करीब नौ सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की स्थिति मजबूत नजर आ रही है।
रायबरेली- कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में इस बार मुकाबला संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कभी कांग्रेस के करीबी रहे दिनेश प्रताप सिंह के बीच में है। बसपा, सपा और रालोद के गठबंधन ने राहुल और सोनिया के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है। यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस के पास रही है और 1957 से 2014 तक केवल तीन बार यहां से गैर कांग्रेसी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। रायबरेली सीट पर इस लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में छह मई को मतदान है। कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी 11 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र यहां से दाखिल करेंगी।
अमेठी- यह सीट भी कांग्रेस का मजबूत गढ़ है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मुकाबला बीजेपी की स्मृति ईरानी से होगा। बता दें कि अमेठी में कांग्रेस को अब तक सिर्फ दो बार चुनावी मात खानी पड़ी है। पहली बार 1977 में जनता पार्टी के राघवेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा और दूसरी बार 1998 में बीजेपी के डॉ. संजय सिंह के हाथों कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था। हालांकि इस बार राहुल गांधी को बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी से कड़ी टक्कर मिलने के आसार हैं।
उन्नाव- उत्तर प्रदेश की उन्नाव लोकसभा सीट पर कांग्रेस की अनु टंडन का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के साक्षी महाराज और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अरुण कुमार शुक्ला उर्फ अन्ना महाराज से है। उन्नाव में क्षत्रिय ,ब्राहण वोटो में कई फाड़ है तो वही जिले में सबसे ज्यादा ओबीसी वोटरों की भरमार है। उन्नाव में सपा का रिकॉर्ड भी काफी अच्छा है साथ ही पिछले लोकसभा के चुनावो में बीजेपी के फायर ब्रांड नेता साक्षी महाराज ने अन्नू टंडन को शिकस्त देकर उनसे लोकसभा की कुर्सी हथिया ली थी। लेकिन इस बार अन्नू टंडन बीजेपी नेता साक्षी महाराज को कड़ी टक्कर दे रही हैं।
कानपुर- कानपुर संसदीय सीट में कांग्रेस उम्मीदवार श्रीप्रकाश जायसवाल और भाजपा प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी के बीच मुकाबला होगा। बसपा-सपा गठबंधन ने कानपुर संसदीय सीट पर रामकुमार को प्रत्याशी बनाया है। कानपुर सीट में बीजेपी को भीतरघात का सामना भी करना पड़ सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने मुरली मनोहर जोशी की जगह कानपुर से सत्यदेव पचौरी को टिकट तो दे दिया लेकिन जमीनी स्तर पर उनको कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
कुशीनगर- कांग्रेस पार्टी ने पांचवी बार आरपीएन सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। दूसरी तरफ भाजपा ने लोकसभा के लिए पूर्व विधायक विजय दूबे को प्रत्याशी बनाया है। सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में गई है, सपा ने इस सीट से नथुनी कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है। बता दें कि आरपीएन सिंह यूपीए-2 की सरकार में सड़क ट्रांसपोर्ट एवं कॉर्पोरेट मंत्रालय में राज्यमंत्री और पेट्रोलियम व गृह राज्यमंत्री रहे थे। 2009 में सांसद चुने जाने के पहले आरपीएन सिंह कुशीनगर जनपद की पडरौना विधानसभा सीट से 1996, 2002 और 2007 में तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके हैं। बीजेपी के विजय दूबे का राजीनीतिक इतिहास कोई बहुत बड़ा नहीं है। यही हाल सपा के प्रत्याशी का भी है। नथुनी कुशवाहा ने शिक्षक नेता के तौर पर राजनीति शुरू की थी।
बिजनौर- इस सीट से बीजेपी ने कुंवर भारतेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस से नसीमुद्दीन सिद्दीकी इस सीट पर चुनाव लड़ेंगे। बीएसपी की तरफ से मलूक नागर इस सीट के उम्मीदवार हैं। वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है । कांग्रेस द्वारा नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मुस्लिम समीकरण के चलते टिकट दिया गया है, इसके साथ ही वे आसपास की सीटों को भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं वे महागठबंधन के लिए भी बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं।
बिजनौर में कुल 55.18 % हिंदू और 44.04% मुस्लिम लोग हैं। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें दो बिजनौर जिले, दो मुजफ्फरनगर जिले और एक मेरठ जिले से आती हैं। ये सीटें पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर और हस्तिनापुर है।
बांदा- बांदा संसदीय सीट पर त्रिकोणात्मक व दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। बांदा से सपा-बसपा गठबंधन ने भाजपा छोड़कर आए प्रयागराज सांसद श्यामा चरण गुप्ता को उतारा है जबकि कांग्रेस ने सपा छोड़कर पार्टी का दामन थामने वाले पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल को टिकट दिया है। बीजेपी ने सांसद भैरों प्रसाद मिश्र की जगह पर पूर्व मंत्री आरके सिंह पटेल को टिकट देकर बांदा में बैकवर्ड कार्ड खेला है। सांसद भैरों प्रसाद टिकट काटने के बाद नाराज चल रहे हैं। उनका सोशल मीडिया में एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह बीजेपी के शीर्ष नेताओं के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में बांदा सीट पर बीजेपी को अपनों से ही खतरा हो सकता है।
बता दें कि पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी 71 सीटें जीती थी। वहीं, एनडीए की सहयोगी अपना दल को 2 सीटें मिली थी। समाजवादी पार्टी ने 5 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं।