जुबली न्यूज़ डेस्क
अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण का साथ देश भर के वकीलों ने दिया है। बड़ी संख्या में वकीलों ने याचिका पर दस्तखत किए और प्रशांत भूषण को सजा नहीं देने की अपील की। लेकिन कांग्रेस पार्टी से जुड़े वकील इससे दूर रहे।
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गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी के नेता लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र की मोदी सरकार के दबाव में न्यायपालिका निर्णय ले रही है। कई मुद्दों पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने न्यायपालिका को कठघरे में खड़ा किया है लेकिन प्रशांत भूषण के मामले में इन नेताओं ने चुप्पी साध रखी है या यूँ कहें कि कांग्रेस इस मुद्दे पर न्यायपालिका के साथ खड़ी है।
दरअसल इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि इन नेताओं ने पार्टी की पर चलते हुए दूरी बना रखी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रशांत भूषण वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने 2जी घोटाले, कोयला घोटाले आदि में यूपीए-दो की सरकार को सबसे ज्यादा परेशान किया था। वे दिल्ली में कांग्रेस के खत्म होने का मुख्य कारण हैं और उनके पिता ने भी इंदिरा गांधी के खिलाफ मुकदमा लड़ा था और हराया था, जिसके बाद देश में इमरजेंसी लगी थी।
इस मुद्दे पर भी दो धड़े में बंटी है कांग्रेस
बताया जा रहा है कि प्रशांत भूषण के मामले पर भी पार्टी दो धडों में बंटी है। पार्टी के एक धड़े को लगता है, जिसमें अधिकतर युवा नेता शामिल हैं, कि कांग्रेस पार्टी को प्रशांत भूषण का समर्थन नहीं करना चाहिए क्योंकि वह यूपीए के दूसरे कार्यकाल के काफी आलोचक रहे थे। खासकर 2जी स्पेक्ट्रम और कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में प्रशांत भूषण ने यूपीए सरकार को जमकर निशाना साधा था। इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सोच इससे जुदा है।
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पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी को आलोचना को दबाने की कोशिश का विरोध करना चाहिए। उनका तर्क है कि असंतोष ही तो लोकतंत्र का दिल है। ऐसे में पार्टी को प्रशांत भूषण के मामले में बोलना चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने समर्थन किया लेकिन निजी राय बताकर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार दिए जाने के संदर्भ में कहा कि कानून सभी पर निष्पक्ष और संतुलित ढंग से लागू होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कई पूर्व न्यायाधीशों समेत कई विभिन्न लोगों ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की है और मामले पर सावधानी से विचार होना चाहिए। सिंघवी ने कहा कि पूर्व न्यायाधीशों की बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस नेता और जानेमाने वकील सिंघवी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस विषय पर वह अपनी निजी राय जाहिर कर रहे हैं।
कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर समर्थन किया
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रशांत भूषण। अवमानना की शक्ति का प्रयोग आज एक हथौड़े की तरह किया जा रहा है। जब भी संविधान और कानूनों की रक्षा करने की आवश्यकता सबसे अधिक होती है, तो उस समय न्यायालय असहाय क्यों होते हैं, दोनों के लिए समान तरीके से “अवमानना” दिखाते हैं। बड़े मुद्दे दांव पर लगे हैं। इतिहास हमें खारिज करने के लिए कोर्ट का मूल्यांकन करेगा।’
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