जुबिली न्यूज डेस्क
कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। सोमवार को पुदुचेरी में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। पुदुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिरने के साथ ही पार्टी दक्षिण भारत में कर्नाटक के बाद दूसरा राज्य भी गवां दिया।
किसी समय में कांग्रेस के मजबूत गढ़ के रूप में माने जाने वाले दक्षिण भारत में आज कांग्रेस सभी राज्यों में सत्ता से दूर जा चुकी है।
सोमवार को पुदुचेरी का राजनीतिक संकट खत्म हो गया। वी नारायणसामी सरकार को आज सदन में बहुमत साबित करना था लेकिन वोटिंग से पहले ही कांग्रेस और डीएमके के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद स्पीकर ने ऐलान किया कि कांग्रेस सरकार बहुमत साबित करने में विफल रही है।
सिर्फ पांच राज्यों में है कांग्रेस की सरकार
भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था। वह नारा अब सच होता दिख रहा है। साल 2014 में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से कांग्रेस लगातार बीजेपी से पिछड़ती जा रही है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी अब सिर्फ पांच राज्यों तक सिमट कर रह गई है। पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड को छोड़कर आज पूरे देशभर में पार्टी सत्ता से बाहर है। वहीं महाराष्ट्र और झारखंड में भले ही कांग्रेस सत्ता में हो लेकिन इन राज्यों में पार्टी की भूमिका नंबर तीन और नंबर दो की ही है।
पार्टी में उठ रही है बदलाव की मांग
कभी वटवृक्ष की तरह पूरे भारत में फैली कांग्रेस की मौजूदा हालत के लिए पार्टी के कमजोर होते संगठन और समर्पित कार्यकर्ताओं की कमी को अहम रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है।
कांग्रेस में मची अंदरुनी कलह और राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व को लेकर असंतोष सार्वजनिक हो चुका है। पार्टी के भीतर ही दो धड़े हो गए हैं।
पिछले साल पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी में आंतरिक चुनाव को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की थी।
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मध्य प्रदेश में 15 महीनें भी नहीं टिकी
पिछले साल मार्च में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता से बाहर हो गई थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस 15 सालों बाद सत्ता में आई थी लेकिन यह सरकार 15 महीने भी नहीं टिक पाई थी।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में मची कलह की वजह से ही पार्टी सत्ता से बाहर हुई। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे जिसकी वजह से कमलनाथ सरकार गिर गई।
यह मामला शीर्ष अदालत में भी पहुंचा था। फ्लोर टेस्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सदन में बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार नाटकीय रूप से सत्ता से बाहर हो गई।
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2019 में कांग्रेस ने कर्नाटक में गंवायी सत्ता
जुलाई 2019 में कांग्रेस को तब झटका लगा था जब कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसकी वजह से जेडीएस के साथ उनकी गठबंधन सरकार सदन में विश्वास मत साबित करने में असफल रही थी।
पार्टी ने इसके लिए विधायकों के विश्वासघात को जिम्मेदार माना था। इसे कर्नाटक में बीजेपी के ऑपरेशन लोटस की सफलता माना गया। इसके बाद यहां बीजेपी की सरकार बनी। 15 सीटों पर उप चुनाव भी हुए जिसमें बीजेपी ने 13 दल बदलुओं को टिकट दिया। 15 में से 12 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
पांच राज्यों में होना है विधानसभा चुनाव
इस साल देश के पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में कांग्रेस के लिए जीत हासिल करना बड़ी चुनौती है।
पश्चिम बंगाल में तो कांग्रेस मुख्य लड़ाई से कोसो दूर है। इस बार बंगाल की लड़ाई भाजपा और तृणमूल के बीच ही मानी जा रही है। यहां कांग्रेस लेफ्ट के साथ गठबंधन में है।
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वहीं तमिलनाडु में पार्टी डीएमके के साथ गठबंधन के जरिये सत्ता में आने की कोशिश करेगी। केरल में पार्टी का वाम नीत एलडीएफ से मुकाबला है तो असम में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने की कोशिश कांग्रेस करेगी।
आर्थिक संकट से गुजर रही कांग्रेस
कांग्रेस इन दिनों भारी आर्थिक संकट से भी गुजर रही है। पार्टी ने स्टेट में अपने नेताओं को इस संकट से जल्द निपटने के लिए कहा है।
इसके पहले कांग्रेस को साल 2019-20 में 139 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला था। निर्वाचन आयोग ने 2019-20 में कांग्रेस को मिले चंदे से जुड़ी एक रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘आईटीसी’ और इससे जुड़ी कंपनियों ने 19 करोड़ रुपये से अधिक राशि चंदे में दी, जबकि ‘प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्टÓ ने 31 करोड़ रुपये का चंदा दिया।