जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग ने सूबे के हर जिले से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर भारतीय संविधान की प्रस्तावना में बदलाव करने की कोशिशों पर रोक लगाने और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.
अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने बताया कि इसी आठ दिसम्बर को बीजेपी सांसद के.जे. अलफोंस ने राज्यसभा में प्राइवेट मेम्बर बिल लाकर संविधान की प्रस्तावना से सेक्युलर शब्द हटाने का प्रस्ताव दिया. इस प्रस्ताव पर न बोलने वालों की संख्या ज्यादा थी, इसके बावजूद राज्यसभा के उपसभापति ने इसे रिजर्व में रख लिया. ठीक इसी तरह से 20 जून को बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद शब्द हटाने की मांग की थी. यह सब तब हो रहा है जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि संविधान की प्रस्तावना में संसद कोई भी बदलाव नहीं कर सकती है.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आठ दिसम्बर को जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल ने भी कहा था कि संविधान से सेक्युलर शब्द हटा देना चाहिए. इस बयान को सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान में लेकर कार्यवाही करनी चाहिए थी लेकिन वह भी नहीं की गई.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने 42 वां संशोधन करके समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़ कर गरीबों और अल्पसंख्यक वर्गों को अधिकार सम्पन्न किया था. भाजपा इन शब्दों को निकालकर गरीबों और अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस भाजपा की इस साज़िश को सफल नहीं होने देगी.
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