न्यूज डेस्क
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच चल रही राजनीतिक जंग ने अब नया मोड़ लिया है। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी को हराने के लिए सभी पार्टियों के एक साथ आने की अपील की है।
हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस और सीपीआई(एम) को साथ आने का ऑफर दोनों ही दलों ने ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि राज्य में भगवा दल (बीजेपी) के उभरने के लिए उनकी नीतियां जिम्मेदार हैं।
गौरतलब है कि राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ममता ने बुधवार को विधानसभा में कहा था कि बीजेपी प्रदेश में समानांतर सरकार चलाने का प्रयास कर रही है और कांग्रेस-सीपीएम जैसी पार्टियों को भगवा पार्टी के खिलाफ संघर्ष में उनका साथ देना चाहिए।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने कहा, ‘बीजेपी के खिलाफ संघर्ष के लिए हमें ममता से सीखने की जरूरत नहीं है। यह उनकी नीतियां ही हैं जिनके कारण बीजेपी की जमीन बंगाल में तैयार हुई है। पहले उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि उनकी गलतियों के कारण ही बीजेपी राज्य में मजबूत हुई है।’
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बताते चले कि ममता के इस संकेत से साफ माना जा रहा था कि वह बीजेपी से मुकाबले के लिए अपने धुर विरोधी लेफ्ट और कांग्रेस से हाथ मिला सकती है। आपको बता दें कि राज्य में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी इस बार टीएमसी के खिलाफ मुकाबले में दिख रही है।
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में पहली बार बंगाल में 18 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी यहां टीएमसी के मुकाबले प्रमुख विपक्षी दल बनकर उभरी है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में खिसक रहे अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत बचाने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट का सहारा लेंगी।