न्यूज़ डेस्क।
कर्नाटक और गोवा में अपने विधायकों को तोड़े जाने की बीजेपी के प्रयासों को देखते हुए कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की अपनी सरकारों को अलर्ट किया है। पार्टी को पता चला है कि बीजेपी नेतृत्व अब मध्य प्रदेश पर नजरें गड़ाए हुए हैं।
दरअसल दोनों राज्यों में कांग्रेस छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से अपनी सरकारें चला रही है। क्योंकि उनकी जीत का अंतर दोनों ही राज्यों में काफी कम है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और दूसरे नेता विपक्षी दल की चाल ही नहीं अपने विधायकों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और दलबदल की घटनाओं को लेकर पहले से ही सतर्क हैं।
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वहीं दूसरी ओर राजस्थान में निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन इस शर्त पर दिया था कि, अशोक गहलोत ही राज्य के मुख्यमंत्री बनें। हालांकि कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप अब तक अपनी पार्टी को एकजुट रखने में सफल रही है।
लेकिन हाल ही में कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस के विधायकों की तोड़ को देखते हुए इन दोनों राज्यों का शीर्ष नेतृत्व अलर्ट हो गया है। कांग्रेस ने यह समझ लिया है कि कर्नाटक और गोवा दोनों राज्यों में उसके विधायकों को जिस अंदाज में तोड़ा जा रहा है, वह पुराने ऑपरेशन लोटस में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों से बहुत आगे की चीज है।
कांग्रेस का मानना है कि, नई बीजेपी सत्ता को हासिल करने के लिए गैर-परंपरागत राजनीतिक हथकंडों का इस्तेमाल कर किसी भी हद तक जा सकती है। गोवा के ईसाई विधायकों में ज्यादातर अब बीजेपी के साथ हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे बीजेपी ने ईसाई विधायकों को लालच देकर अपने खेमें शामिल कर लिया।
मध्य प्रदेश और राजस्थान का गणित
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 230 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा 116 का है। कांग्रेस ने एसपी के 1, बीएसपी के 2 और 4 निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई है।
वहीं राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 100, बीजेपी को 73 सीटें मिलीं। राज्य में बीएसपी को 6 सीटों पर जीत मिली है। 200 सदस्यीय विस में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 101 है। कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है।