जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक हुई। बैठक में कम्पेनसेशन सेस को लेकर एक अहम निर्णय लिया गया। राज्यों के नुकसान की भरपाई के लिए निर्णय लिया गया कि लग्जरी व कई अन्य तरह की वस्तुओं पर लगने वाले कम्पेनसेशन सेस को जून 2022 से आगे बढ़ाया जाएगा।
हालांकि पहले फैसला लिया गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ पांच साल तक यह कम्पेनसेशन सेस वसूला जाएगा। खबरों के अनुसार, इस उपकर का विस्तार साल 2024 तक किया जाएगा और समय- समय पर इसकी समीक्षा भी की जाएगी।
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उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों को जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व में 2.35 लाख करोड़ की कमी आ सकती है। केंद्र सरकार की गणना के हिसाब से इसमें महज 97 हजार करोड़ की कमी के लिए जीएसटी का क्रियान्वयन जिम्मेदार है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ की कमी कोविड-19 के कारण है।
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केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिए थे। इसके तहत राज्य या तो रिजर्व बैंक द्वारा दी गई विशेष सुविधा से 97 हजार करोड़ का कर्ज उठा सकते हैं या फिर बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपए उधार ले सकते हैं।
वही पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के द्वारा पेश विकल्प का विरोध करते हुए पत्र लिखा। ये राज्य चाहते हैं कि जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए केंद्र सरकार कर्ज ले, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि वह उन करों के एकज में कर्ज नहीं उठा सकती है, जो उसके खाते के नहीं हैं।
अगस्त 2019 से उपकर में कमी में गिरावट आने के बाद से राज्यों को क्षतिपूर्ति के भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं। केंद्र सरकार को इसके बाद क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिए 2017-18 तथा 2018-19 में जमा उपकर की राशि का इस्तेमाल करना पड़ा है।
केंद्र सरकार ने 2019-20 के लिए क्षतिपूर्ति के तौर पर 1.65 लाख करोड़ जारी किए हैं, जबकि इस दौरान उपकर संग्रह महज 95,444 करोड़ रहा है। इससे पहले 2017-18 और 2018-19 में क्षतिपूर्ति की राशि क्रमश: 41,146 करोड़ और 69,275 करोड़ रही है।
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