जुबिली न्यूज डेस्क
राजस्थान में गुर्जर आरक्षण के पुरोधा कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला का निधन हो गया है। उन्होंने 84 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। बैसला काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।
पिछले दिनों ही किरोड़ी सिंह बैसला ने अपने बेटे विजय बैंसला को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की कमान सौंप दी थी। वह सेना में कर्नल थे।
कर्नल बैंसला का अंतिम संस्कार टोडाभीम के मुंडिया गांव में किया जाएगा। मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है।
2008 में हुए गुर्जर आंदोलन में हुईं थीं 70 मौतें
सेवानिवृत्त होने के बाद कर्नल बैंसला ने राजनीति में प्रवेश किया। बैंसला बीजेपी के टिकट पर टोंक- सवाई माधोपुर लोकसभा से सीट से चुनाल लड़े लेकिन बहुत कम मतों से कांग्रेस के नमोनारायण मीणा से चुनाव हार गए थे।
गुर्जरों के एसटी में शामिल कराने के मांग को लेकर कर्नल बैंसला के नेतृत्व में 2008 में हुए गुर्जर आंदोलन में 70 मौतें हो गई।
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बैंसला ने राजस्थान के गुर्जरों के लिए अलग से एमबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत गुर्जरों को सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण दिलाने में कामयाब रहे।
पहले राजस्थान के गुर्जर OBC में थे, लेकिन बैंसला के दबाव में सरकार को MBC में गुर्जरों को शामिल करना पड़ा।
बैसला 317 मतों से हार गए थे चुनाव
किरोड़ी सिंह बैंसला को गुर्जर आंदोलन का बड़ा फायदा मिला। राजस्थान की राजनीति में बैंसला कद्दावर नेता के रूप में उभरे। बीजेपी ने उन्हें टोंक- सवाईमाधोपुर लोससभा सीट से टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी से सिर्फ 317 वोटों से चुनाव हार गए थे।
इसके बाद कुछ दिनों बाद ही उन्होंने बीजेपी छोड़ दी, लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान एक बार कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला भाजपा शामिल हो गए थे। साल 2008 में राजस्थान में गुर्जर आंदोलन चरम पर था।
वसुंधरा राजे की चली गई थी सरकार
साल 2008 में गुर्जर आऱक्षण को दौरान तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। गुर्जरों ने आरक्षण की मांग को लेकर रेल की पटरियां उखाड़ दी थी, जिसकी वजह से संपूर्ण उत्तर भारत रेल मार्ग से कट गया था।
इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। गुर्जर आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में 70 से अधिक गुर्जर समाज के लोग मारे गए थे।
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वसुंधरा सरकार जाने के बाद गहलोत सरकार ने गुर्जरों के साथ कई दौर की वार्ता की। गहलोत सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की मांगों का स्वीकर कर गुर्जर समाज को राहत प्रदान की। हालांकि, अभी भी गुर्जर नेताओं का कहना है कि कुछ मांगे पूरी होना बाकी है।