जुबिली न्यूज डेस्क
देश में कोरोना महामारी की भयावहता दिख रही है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की बीच इससे मरने वाला आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। एक ओर लोग कोरोना की जद में आ रहे हैं तो दूसरी ओर लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।
कोरोना महामारी के असर से गिने-चुने सेक्टर बचे हैं जिनको नुकसान नहीं हुआ है। बाकी तो सभी को काफी नुकसान हुआ है। कोरोना महामारी से उपजे हालात का असर है कि देश में भारत में उच्च शिक्षा के कई संस्थान बंद हो रहे हैं। हालांकि ये प्रक्रिया कई सालों से चल रही है लेकिन महामारी की वजह से समस्या और गंभीर हो गई है।
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एक तरफ तो भारत में नई शिक्षा नीति उच्च शिक्षा के विदेशी संस्थानों को भारत में नए संस्थान खोलने के लिए प्रेरित कर रही है, और दूसरी तरफ देश में पहले से खुले हुए संस्थान बंद हो रहे हैं।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने हाल ही में बताया कि इस वर्ष 179 तकनीकी उच्च शिक्षा के संस्थान बंद हो गए। यह पिछले नौ सालों में बंद होने वाले संस्थानों की सबसे बड़ी संख्या है।
#Lockdown imposed due to #COVID19 created severe challenges to all sectors of governance#AICTE converted #CovidCrisis into #opportunity via #eGovernance mechanisms to complete #ApprovalProcess for AY2020-21 & facilitate institutes to reopen on resumption of #academic activities. pic.twitter.com/FcOWYP06mC
— AICTE (@AICTE_INDIA) July 27, 2020
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले शिक्षा सत्र यानी 2019-20 में 92 तकनीकी संस्थान, 2018-19 में 89, 2017-18 में 134, 2016-17 में 163, 2015-16 में 126 और 2014-15 में 77 संस्थान बंद हुए थे। इन आंकड़ों से ये समझा जा सकता है कि वैसे तो देश में हर साल ही कई संस्थान बंद होते हैं, लेकिन 2020-21 में बंद होने वाले संस्थानों की संख्या पहले से कुछ ज्यादा है।
बंद हो जाने वाले संस्थानों के अलावा 134 ऐसे अतिरिक्त संस्थान हैं जिन्होंने इस वर्ष एआईसीटीई के अनुमोदन के लिए आवेदन ही नहीं किया। इन्हें भी प्रभावी रूप से बंद संस्थानों की ही श्रेणी में डाला जा सकता है.
इन संस्थानों के बंद होने के पीछे का कारण कोरोना महामारी बताया जा रहा है। 24 मार्च को देशव्यापी तालाबंदी लगने के बाद से सभी शिक्षण संस्थान बंद पड़े हुए हैं। लाखों लोगों की नौकरी जाने और लाखों लोगों की सैलरी में कटौती की वजह से कई परिवारों को छात्रों को फीस देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे संस्थानों की कमाई पर भी असर पड़ा है।
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संस्थानों को चालू रखने के लिए कई जगह तमाम टीचरों को या तो नौकरी से निकाल दिया गया है या मार्च से वेतन नहीं दिया गया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि अकेले महामारी ही इस समस्या का कारण नहीं है। इनमें से कई संस्थानों में पिछले कई सालों से कई सीटें रिक्तपड़ी हुई है। यहां तक कि आईआईटी जैसे जिन तकनीकी शिक्षा संस्थानों में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच दाखिला लेना करोड़ों छात्रों के लिए एक सपना है उनमें भी अब सीटें रिक्त रहती हैं। 2018-19 सत्र में देश के 23 आईआईटी संस्थानों में 118 सीटें खाली रह गई थीं।
जानकारों के मुताबिक ये सब रोजगार और करियर के बदलते स्वरुप की वजह से छात्रों की कई कोर्सों में रुचि गिरने के कारण हो रहा है। ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में हो रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पूरे देश में 58 एमबीए स्कूल और कई फार्मेसी संस्थान भी बंद हुए हैं और पिछले कुछ सालों में और भी प्रबंधन संस्थान बंद हुए हैं। जानकारों का मानना है कि देश में उच्च शिक्षा की पूरी व्यवस्था की समीक्षा करने की आवश्यकता है, ताकि आज की जरूरतों के अनुरूप पर्याप्त संस्थान, उनमें छात्रों की रुचि वाले कोर्स और पर्याप्त सीटें सुनिश्चित की जा सकें।