मल्लिका दूबे
गोरखपुर। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपने क्षेत्र के एक बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट को पहले ही सत्र में बड़ा झटका लगा है। यह ड्रीम प्रोजेक्ट है पिपराइच चीनी मिल जिसके नाम को सीएम ने संसदीय चुनाव में जमकर भुनाया भी था। पर, पिपराइच की चीनी मिल को ट्रायल पेराई सत्र में भारी चपत लग गयी है। घाटे की भारी भरकम रकम को देखकर यह कहा जा सकता है कि अगले सत्र में यदि भरपूर गन्ना नहीं मिला तो चीनी मिल की आर्थिक कमर ही टूट जाएगी।
बेहद महंगा रहा पिपराइच चीनी मिल का उत्पादन
प्रबंधन की नजर में पिपराइच चीनी मिल का ट्रायल सत्र कामयाब माना जा रहा है। लेकिन जरा इसके आंकड़ों पर गौर करें। गन्ना बेहद कम मिलने से यहां चीनी की उत्पादन लागत बेहद महंगी साबित हुई। ट्रायल सत्र में इस चीनी मिल ने 2.92 लाख कुंतल गन्ने की खरीद की। इस गन्ने की कुल कीमत 9.33 करोड़ रुपए ठहरती है। 2.92 लाख कुंतल गन्ने की पेराई कर मिल ने 8 हजार 12 बोरी चीनी का उत्पादन किया।
बाजार में चीनी की कीमतों के हिसाब से उत्पादित चीनी डेढ़ करोड़ रुपए के आसपास ठहरती है। सिर्फ गन्ने की कीमत 9 करोड़ से ऊपर है, उत्पादन की अन्य लागतों के अलावा। ऐसे में ट्रायल सत्र का घाटा आसानी से समझा जा सकता है। इस औसत में सुधार नहीं हुआ तो अगले सत्र में भी चीनी मिल को भारी घाटा उठाना पड़ सकता है।
आगामी सत्र मे 50 लाख कुंतल गन्ना मिला तो ही सुधरेगी दशा
मिल प्रबंधन का मानना है कि ट्रायल सत्र में गन्ना पर्याप्त न मिल पाने से पर्याप्त चीनी उत्पादन नहीं हो सका। नवम्बर से प्रस्तावित आगामी सत्र में 50 लाख कुंतल गन्ना पेराई का लक्ष्य रखा गया है। गन्ना मिलने का यह लक्ष्य पूरा हुआ तभी पिपराइच चीनी मिल की दशा सुधर पायेगी।
गन्ना लक्ष्य पाने के लिए सर्वेक्षण का कार्य कराया जा रहा है ताकि किसान गन्ना बोने के लिए उत्साहित हों। गन्ना का सर्वे के लिए चीनी मिल के 20 सुपरावाइजर तथा गन्ना विकास परिषद के 20 सुपरवाइजर काम कर रहे हैं।
उधर मिल प्रबंधन का कहना है कि ट्रायल सत्र के लिए गन्ना किसानों को 4.05 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है, शेष 5.28 करोड़ का भुगतान एक सप्ताह में हो जाएगा। मिल में पेराई शुरू हो जाने से तथा ट्रायल सत्र का भुगतान होने से गन्ना किसानों का विश्वास बढ़ा है और आगामी सत्र में लक्ष्य के सापेक्ष गन्ना मिल जाने पर चीनी मिल की दशा सुधर जाएगी।