जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। यूपी की जेलों में मोबाइल का दुरूपयोग काफी समय से किया जा रहा था। लेकिन योगी सरकार आने के बाद अब जेलों के भीतर मोबाइल ले जाने पर सख्त पाबंदी है। यूपी की जेलों में कई तरह के प्रतिबन्ध लगाने के बाद अब जेलों की हालत बेहद सुधार देखने को मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश के कारागारों में अपराधियों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग की संभावना पर अंकुश लगाने के लिए 24 जेलों में 271 जैमर स्थापित किए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था के तहत सभी कारागारों में 2800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
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अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि कारागार विभाग द्वारा जेल की आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए कई बेहतर कार्य किए गए, जिससे प्रदेश की जेलों की छवि में सुधार हुआ है। जेलों के भीतर मोबाइल ले जाने पर सख्त पाबंदी लगायी गयी। साथ ही जेलों में समय- समय पर तलाशी अभियान चलाया गया।
अवस्थी ने बताया कि कारागारों में अपराधियों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग की संभावना पर अंकुश लगाने के लिए 24 कारागारों में 3जी क्षमता के 271 जैमर स्थापित किए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था हेतु सभी कारागारों में 2800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
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उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय निगरानी के वास्ते मुख्यालय में कमांड सेंटर/ वीडियो वॉल स्थापित की गयी है। तलाशी व्यवस्था के लिए सभी कारागारों में पोल मेटल डिटेक्शन सिस्टम के साथ ही उच्च गुणवत्ता के मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं।
अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि तलाशी व्यवस्था के लिए सभी कारागारों में पोल मेटल डिटेक्शन सिस्टम, डोरफ्रेम, हैण्ड हेल्ड एवं डीप सर्च मेटल डिटेक्टर की व्यवस्था करायी गयी है।
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पुलिस महानिदेशक (कारागार) आनंद कुमार ने जारी बयान में कहा बंदियों के शैक्षिक उन्नयन के लिए कक्षा पांच से आठ तक, हाईस्कूल, इंटरमीडिएट तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की परीक्षाओं हेतु कारागारें परीक्षा केन्द्र के रूप में काम करती हैं।
विगत वर्ष कक्षा पांच से आठ तक 1204, हाई स्कूल की परीक्षा में 71, इंटरमीडिएट की परीक्षा में 52 तथा इग्नू की परीक्षा में 1200 से अधिक बंदी उत्तीर्ण हुए। कुमार ने बताया कि कोविड-19 महामारी के नियंत्रण के चलते कुल 85 अस्थायी जेल बनायी गईं।
पुलिस महानिदेशक कारागार ने बताया कि कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग का मुख्य उद्देश्य कारागारों में बंदियों का सुरक्षित रख रखाव एवं उनके आचरण एवं व्यवहार में परिवर्तन कर उनमें सुधार लाना है।
जिससे वे रिहा होकर पुनः सम्मानजनक जीवन यापन कर सकें। इसके लिये कारागारों में सम्पूर्ण साक्षरता, शैक्षिक उन्नयन, व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित कराये जाते हैं।
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