न्यूज डेस्क
देश इन दिनों सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित है। एक तरफ बिहार में चमकी बुखार का कहर जारी है, इसकी चपेट में सैकड़ों बच्चे आ चुके हैं तो वहीं दूसरी तरफ यूपी के बरेली में एक पांच दिन के मासूम को सही समय पर सही इलाज न मिलने के वजह से अस्पताल के सामने ही उसकी मौत हो गई।
यूपी की बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था की एक और तस्वीर सामने आई है। जहां हाइप्रोफाइल जनपद इटावा के जिला अस्पताल में मारपीट में घायल होकर आए लोगों का इलाज मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में किया गया।
पैरामेडिकल स्टाफ ने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में ही घायलों को टांके लगाए। उस वक्त बिजली नहीं थी, ऐसी दशा में विकल्प के तौर पर जेनरेटर है। लेकिन उसे चालू नहीं किया गया।
सीएमएस का कहना है कि जेनरेटर गर्म होने के कारण बंद हो गया था। बिजली न होने से अन्य मरीज और मेडिकल स्टाफ परेशान नजर आया। डॉक्टरों का कहना है कि अचानक आई आंधी और बारिश से कई शहर में कई जगहों पर बिजली आपूर्ति बाधित हुई। जिसका सीधा असर जिला अस्पताल में देखने को मिला।
खबरों की माने तो दो सगे भाई राहुल और सुनील मारपीट के मामले में घायल अवस्था में जिला अस्पताल लाए गए। उस वक्त इमरजेंसी में डॉक्टर जयदेश यादव ड्यूटी पर थे। लेकिन इमरजेंसी में अंधेरा छाया था। डॉक्टर ने इमरजेंसी में वॉर्ड बॉय की मदद से घायल भाइयों का मोबाइल टॉर्च की रोशनी में प्राथमिक उपचार किया और टांके लगाए।