सैय्यद मोहम्मद अब्बास
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून को ताक पर रखना अब आम बात हो गई है। शासन और प्रशासन दोनों अपराधियों के सामने बेबस नजर आ रहे हैं। यूपी में कानून के रखवाले शायद अपने फर्ज से भटकते नजर आ रहे हैं।
शासन और प्रशासन अगर चुस्त और दुरस्त होकर काम करे तो आम लोग सुरक्षित है लेकिन यूपी में ऐसा नहीं है। यहां शासन के साथ-साथ प्रशासन भी अपनी मनमानी करने पर अमादा है और इसका नुकसान आम इंसान होता साफ दिख रहा है।
सरकार के इशारों पर पुलसियां तंत्र काम करता है। ये बात अब किसी से छुपी नहीं है। इसके आलावा प्रशासन के बड़े लोग सरकार के आदेशों को सराखों में रखते हैं। इसका ताजा उदाहरण हाथरस कांड है।
हाथरस की बेटी का गैंगरेप तो हुआ ही और साथ में जुल्म की सारी पराकाष्ठा पार कर दी गई और फिर उसे रातों-रातों चिता पर सुला दिया गया। इस पूरे प्रकरण पुलिस की भूमिका सवाल उठना लाजमी है लेकिन डीएम का जो बर्ताव पीडि़त के परिवार के साथ हुआ वो शायद टीवी पर आम इंसानों को खून के आंसू रूला सकता है।
उधर हाथरस की बेटी को न्याय दिलाने के लिए विपक्षी सड़क पर उतर आए लेकिन हाथरस की पुलिस और डीएम शायद किसी और के इशारे पर काम करने के लिए कुछ भी करने को उतारू होते नजर आये। हालांकि सरकार ने इस मामले में कप्तान सहित अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर अपनी पीठ थप-थपाने की कोशिश जरूर की है लेकिन डीएम अब भी अपने पद पर कायम है।
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अगर हाथरस प्रकरण पर गौर करे तो शायद डीएम को फौरन वहां से हटाया जाने में भलाई होती लेकिन योगी सरकार की मेहरबानी की बदौलत डीएम अब तक वहां पर कायम है। सवाल यह है कि सरकार की नजर में केवल हाथरस पुलिस दोषी है और डीएम पाकसाफ है।
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प्रियंका गांधी ने भी डीएम को न हटाने पर योगी सरकार पर हमला बोला है और पूछा है कि हाथरस के डीएम को कौन बचा रहा है? अविलंब बर्खास्तगी की मांग कर डाली है। उन्होंने ट्वीट किया है और कहा है कि हाथरस के पीड़ित परिवार के अनुसार सबसे बुरा बर्ताव डीएम का था। उन्हें कौन बचा रहा है? उन्हें अविलंब बर्खास्त कर पूरे मामले में उनके रोल की जाँच हो। परिवार न्यायिक जांच माँग रहा है तब क्यों सीबीआई जांच का हल्ला करके SIT की जांच जारी है।
हाथरस के पीड़ित परिवार के अनुसार सबसे बुरा बर्ताव डीएम का था। उन्हें कौन बचा रहा है? उन्हें अविलंब बर्खास्त कर पूरे मामले में उनके रोल की जाँच हो।
परिवार न्यायिक जांच माँग रहा है तब क्यों सीबीआई जांच का हल्ला करके SIT की जांच जारी है। 1/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 4, 2020
उधर ब्यूरोक्रेसी को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवार ने इस मामले में कहा कि डीएम को आखिर अब तक क्यों नहीं हटाया गया। इसका जवाब भी सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को देना होगा। उन्होंने कहा कि डीएम के अब तक पद पर बना रहना ही अपने आप में एक सवाल है। यह सबको पता है कि कही भी कानून व्यवस्था की समस्या या फिर समाजिक सद्भाव के बिगडऩे जैसी कोई और समस्या होती है तो इसका जवाब केवल डीएम को देना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि हाथरस मामले में सरकार ने समय पर कोई एक्शन नहीं लिया। इसका नतीजा यह रहा कि मामला इतना आगे बढ़ गया। इतना समय बीत जाने के बाद सरकार ने कप्तान सहित अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया जरूर लेकिन डीएम अब तक कैसे बने हुए। इस बात का जवाब भी सरकार को देना होगा।
बड़ा सवाल यह है डीएम-एसपी अपनी मनमानी करते रहे और उच्च स्तर पर शासन सोता रहा है। अब इस प्रकरण यह भी देखना होगा कि सरकार आखिर क्यों डीमए को बचा रही है। इसके पीछे कही कुछ छुपाने की कोशिश तो नहीं की जा रही है। डीएम को लेकर अब भी सवाल उठ रहा है।
हाथरस मामले में एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर यूपी सरकार ने एसपी विक्रांत वीर समेत पांच पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई से आईपीएस एसोसिएशन भड़क गया है। आईपीएस एसोसिएशन का कहना है कि अगर लापरवाही हुई तो डीएम पर एक्शन क्यों नहीं हुआ? क्योंकि आदेश डीएम की तरफ से भी आए।
अब देखना होगा कि हाथरस के डीएम पर योगी सरकार कब एक्शन लेती है। इस मामले पर लगातार योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है।