न्यूज़ डेस्क
यूपी के सीएम लगातार सख्त रवैया अपनाये हुए है। फिर वो चाहे उनकी सरकार के मन्त्रियों के प्रति हो या फिर अधिकारियों के प्रति हो। यूपी में अधिकारियों के तबादलों का दौर जारी है। पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने समाज कल्याण निदेशक, मुख्यमंत्री के सचिव और पीडब्ल्यूडी के विशेष सचिव सहित 30 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया था।
ताजा मामला स्टांप और पंजीयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के विभाग का है जहां स्थानान्तरण के दौरान गड़बड़ियों को लेकर सभी तबादलों को रद्द कर दिया। दरअसल सीएम् योगी आदित्यनाथ को इन तबादलों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थी। इस दौरान कर्मचारियों ने प्रतिनिधि मंडल ने सीएम योगी से मुलाकात की थी। इसके बाद सीएम ने ये फैसला लिया।
मिली जानकारी के अनुसार सीएम योगी की कर्मचारियों से मुलाकात के बाद उन्होंने आंतरिक रूपे से एक रिपोर्ट मंगाई थी और विभाग में एक नई प्रमुख सचिव के तौर पर वीना कुमारी मीणा को तैनात किया गया। प्रमुख सचिव ने जांच के दौरान पाया कि जो भी आरोप लगाये गये है वो सभी सही है, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने समूह ख,ग,घ की भर्तियो से जुड़े करीब 300 कर्मचारियों का तबादला रद्द कर दिया है।
वहीं, इससे पहले समाज कल्याण विभाग द्वारा राज्य में 17 एमबीसी श्रेणियों को एससी सूची में शामिल करने का आदेश दिया था जिसके बाद हड़कंप मच गया था। अखिलेश सरकार की घोषणा पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2017 के अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए इन जातियों को लेकर ऐसा किया गया। हालांकि, प्रदेश सरकार के इस आदेश को बाद में केंद्र ने अवैध घोषित कर दिया था।
बता दें कि इससे पहले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के 20 सीएमओ का तबादला कर दिया लेकिन मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ इन तबादलों पर नाराजगी जताने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन तबादले रोकने का आदेश जारी किया गया।