जुबिली स्पेशल डेस्क
जम्मू-कश्मीरके पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस कायराना हमले के खिलाफ देश एकजुट होकर खड़ा है और केंद्र सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग कर रहा है।
जनता का स्पष्ट संदेश है कि आतंकवाद को इस बार जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस भी खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी नजर आ रही है।
शुक्रवार को हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में एक विशाल कैंडल मार्च निकाला गया, जिसमें पहलगाम हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई।
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(तस्वीर: PTI)
इस मार्च में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन, तेलंगाना के कई मंत्री और अन्य राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए। मार्च के दौरान सभी नेताओं ने एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने और केंद्र सरकार के हर कदम का समर्थन करने की बात कही।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने केंद्र सरकार को पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि पाकिस्तान और आतंकवादियों को इस बार करारा जवाब दिया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमें आतंकवाद के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
अगर इसका मतलब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को भारत में मिलाना है, तो वह कदम भी उठाया जाना चाहिए।” रेड्डी ने इंदिरा गांधी की प्रतिमा के सामने बोलते हुए कहा कि तेलंगाना की चार करोड़ जनता और देश-विदेश के लोग इस मुश्किल घड़ी में पीड़ितों के साथ हैं। कांग्रेस ने भी स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि यह समय राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर राष्ट्रीय एकता दिखाने का है। हैदराबाद में आयोजित ‘भारत शिखर सम्मेलन’ में शामिल अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भी कैंडल मार्च में हिस्सा लेकर भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की।
पहलगाम हमले के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। श्रीनगर में स्थानीय लोगों ने ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए मार्च निकाला, वहीं बॉलीवुड हस्तियों से लेकर आम नागरिक तक आतंकवाद की कड़ी निंदा कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने भी इस हमले को गंभीरता से लिया है।
पीएम मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटते ही उच्चस्तरीय बैठकें कीं और सुरक्षा बलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए। विदेश मंत्रालय ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी बॉर्डर बंद करने जैसे कड़े कदम उठाए हैं।
यह हमला, जिसमें 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए, देश के लिए एक गंभीर चुनौती है। लेकिन देशवासियों की एकजुटता और विपक्ष का समर्थन दर्शाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ इस जंग में और मजबूत होकर उभरेगा