जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में जेडीयू-आरजेडी महागठबंधन की सरकार को अभी कुछ महीने ही बीते हैं। इसी बीच सीएम नीतीश कुमार के एक बयान ने सियासी गलियारे में हलचल मचा दिया है। दरअसल, मुख्यमंत्री ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने को लेकर बड़ा खुलासा किया।
सीएम नीतीश ने किया ये खुलासा
सीएम नीतीश ने कहा कि दो लोगों जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और कैबिनेट मंत्री बिजेंद्र यादव की सलाह पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ा। जेडीयू कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि एनडीए में रहते हुए जब चीजें गलत हुईं तो ललन सिंह और बिजेंद्र यादव ने मुझे गठबंधन तोड़ने का सुझाव दिया। हमने पूरे देश से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से सुझाव लिए। उन्होंने भी सुझाव दिया कि मैं बीजेपी से गठबंधन तोड़कर सरकार बनाने के लिए सात दलों के गठबंधन के साथ जाऊं। अब हम बिहार में सात दलों की सरकार चला रहे हैं और हम संयुक्त रूप से राज्य का विकास करेंगे। ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और मैं आप सभी से उनका समर्थन करने के लिए कहता हूं।
चुनाव में जेडीयू के खिलाफ साजिश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी पर रविवार को आरोप लगाया कि उसने 2020 के चुनाव में गठबंधन के बावजूद जेडीयू के खिलाफ काम किया। उन्होंने कोशिश की कि जेडीयू के उम्मीदवारों की हार हो। साथ में अगले आम चुनाव में बीजेपी को करारा जवाब देने का संकल्प लिया। जदयू के पूर्ण अधिवेशन को यहां संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने हाल में एक उपचुनाव में मिली हार को ज्यादा महत्व न देने की बात कही। उन्होंने कहा कि बीजेपी का विरोध करने वाले दल अगर एक साथ आने पर सहमत हो जाएं, तो वे 2024 के लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत सकते हैं। कुढ़नी में 7 दलों का समर्थन होने के बावजूद जेडीयू प्रत्याशी हार गया। ऐसे में राजनीतिक पंडित मानते हैं कि सूबे में महागठबंधन की सरकार बनने के तीन महीने बाद नीतीश कुमार ने ऐसा बयान क्यों दिया? चर्चा है कि नीतीश कुमार बिहार में एनडीए को तोड़ने के लिए ललन सिंह और बिजेंद्र यादव को जिम्मेदार ठहराकर बीजेपी से क्या संवाद का द्वार खोलना चाहते हैं?
आखिर नीतीश के मन में क्या चल रहा?
बिहार में नई सरकार बनने के बाद महागठबंधन ने तीन उपचुनाव लड़े और दो हार गए। नीतीश कुमार इस प्रदर्शन से खुश नहीं हैं। सीएम नीतीश के नेतृत्व वाली सरकार को भी राज्य में अपराध की बढ़ती घटनाओं के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा। वह शायद नहीं चाहते कि उनकी सरकार को बिहार में जंगल राज की वापसी का टैग मिले।
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