Tuesday - 29 October 2024 - 12:47 PM

Climate change: अगले तीस साल में आज से चार गुना हो जायेंगे कूलिंग उपकरण

जुबिली न्यूज डेस्क

वर्तमान में कूलिंग उपकरण हमारी जरूरत बन चुके हैं। घर-दफ्तर ठंडा करना हो या खाना-दवा को सुरक्षित व ताजा बनाए रखना हो, हर जगह इसकी जरूरत पड़ती है। हमारी रोजमर्रा की जिदंगी में शामिल एयरकंडीशन और फ्रिज की मांग हर दिन बढ़ रही है और ऐसा अनुमान जताया गया है कि अगले तीस साल में आज की तुलना में चार गुना कूलिंग उपकरण होंगे।

अनुमान के मुताबिक इस समय दुनिया भर में घरों और जरुरी सामान ठंडा करने के लिए 360 करोड़ उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जोकि यह अगले तीस साल में बढ़कर 1,400 करोड़ हो जायेगा।

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हम सभी यह जानते हैं कि कई एयर कंडीशनिंग यूनिट्स कार्बन डाइऑक्साइड, ब्लैक कार्बन और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं जोकि कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में पर्यावरण के लिए हजारों गुना ज्यादा हानिकारक होती है, बावजूद इसके मांग में कोई कमी नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण अनुकूल कूलिंग उपकरणों की मदद से उत्सर्जन में भारी कटौती की जा सकती है, जोकि जलवायु में आ रहे बदलावों की गति को कम कर सकती है।

यूएनईपी औरअंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) द्वारा संयुक्त रूप से की गई स्टडी के अनुसार यदि अकेले हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) जैसे रेफ्रिजरेंट के उपयोग में कटौती कर दी जाए, तो इससे तापमान में हो रही 0.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि को सदी के अंत तक रोका जा सकता है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि एयर कंडीशनर की दक्षता में इजाफा करके 46,000 करोड़ टन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोका जा सकता है। यह 8 सालों में उत्सर्जित होने वाली कुल ग्रीनहाउस गैसों के बराबर है। बस इसे हासिल करने के लिए अगले 4 दशकों तक कूलिंग उपकरणों की दक्षता को आज के मुकाबले में दोगुना करना होगा। जिसके परिणामस्वरूप 2050 तक 13,00,000 मेगावॉट बिजली की बचत की जा सकती है।

यह ऊर्जा उतनी है जितनी भारत और चीन दोनों देशों में मौजूद थर्मल पावर प्लांट मिलकर साल भर में पैदा करते हैं। यह करीब 2,17,28,584 करोड़ रुपए (290,000 करोड़ डॉलर) की बचत करने जितना होगा।

यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इनगर एंडरसन के मुताबिक, “दुनिया पहले ही कोरोना वायरस की महामारी का सामना कर रही है और देश अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में उनके पास जलवायु परिवर्तन को कम करने, प्रकृति की रक्षा करने और बुद्धिमानी से अपने संसाधनों का उपयोग करने का अवसर है। ऐसे में एक कुशल और दक्ष कूलिंग सिस्टम इन सभी लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकता है।”

इस दिशा में सोचने की जरूरत है। बढ़ती गर्मी की वजह से कूलिंग उपकरणों की मांग भी बढ़ रही है। ये उपकरण न केवल एचएफसी और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों में वृद्धि करेगी, बल्कि साथ ही इनके लिए बड़ी मात्रा में बिजली की भी जरुरत पड़ेगी जोकि फॉसिल फ्यूल पर निर्भर होगी। ऐसे में इससे तापमान में हो रही वृद्धि में और इजाफा होगा। जिससे बचने के लिए इन कूलिंग सिस्टम्स की मांग और बढ़ेगी। इस तरह से यह बढ़ते तापमान के एक चक्र का रूप ले लेगी।

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