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सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मंगलवार से रोजाना सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को हस्तक्षेप करने पर सुप्रीमकोर्ट ने फटकार लगाई और कोर्ट कि मर्यादा का ख्याल रखने को कहा। धवन का कहना था कि शक है कि हमें पर्याप्त समय मिलेगा। सीजेआई ने कहा कि ये कोर्ट में बर्ताव करने का सही तरीका नहीं है। सीजेआई ने कहा कोर्ट आपका पक्ष भी सुनेगा।
निर्मोही आखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सैकड़ों साल तक अंदर के परिसर और राम जन्मस्थान पर हमारा नियंत्रण था। उन्होंने कहा कि बाहरी परिसर जिसमें सीता रसोई, चबूतरा, भंडार गृह हैं, वे आखाड़ा के नियंत्रण में थे और किसी मामले में उनपर कोई विवाद नहीं था। आखाड़े के वकील ने कहा कि 1934 से ही किसी भी मुसलमान को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी और उसपर सिर्फ निर्मोही आखाड़ा का नियंत्रण था।
बता दें कि मध्यस्थता के माध्यम से कोई आसान हल निकलने का प्रयास विफल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले की सुनवाई जारी है।
पीठ में न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने दो अगस्त को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लिया था। मध्यस्थता समिति के प्रमुख उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला थे। पीठ ने कहा था कि करीब चार महीने चली मध्यस्थता प्रक्रिया का अंतत: कोई परिणाम नहीं निकला।
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