जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के संभल जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुए हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट को अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में कोई भी एक्शन ने ले, जब तक यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है. जामा मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में सिविल जज के सर्वे के आदेश को चुनौती दी है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद निचली अदालत कोई कार्यवाही करे.
योगी सरकार को दिया ये निर्देश
इसके साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार को भी निर्देश दिया है कि वह इस बात का ख्याल रखे कि इलाके में शांति और सद्भाव बना रहे. सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में रखने और इसे नहीं खोले जाने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह इस बात का ख्याल रखे कि संभल में शांति और सद्भाव बना रहे.
मामले की सुनवाई की शुरुआत में संभल जामा मस्जिद कमेटी की ओर से सीनियर एडवोकेट हुफेजा अहमदी ने निचली अदालत के आदेश की कॉपी सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने रखी. इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि हमने आदेश देखा. केस पर टिप्पणी नहीं करेंगे. मस्जिद कमेटी को अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल का मौका मिले. यह जिला कोर्ट या हाई.कोर्ट कुछ भी हो सकता है.
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8 जनवरी तक कोई कार्यवाही नहीं कर सकता
सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच के सामने एडवोकेट अहमदी ने चिंता जाहिर की और कहा, ‘पूरे देश में ऐसे 10 मामले पेंडिंग हैं, जिनमें ऐसा ही हुआ. पहले ही दिन सर्वे का आदेश दे दिया और फिर सर्वेक्षक भी नियुक्त कर दिया जाता है, प्लीज इसे रोकें.’ इस पर सीजेआई खन्ना ने कहा कि हाईकोर्ट की परमिशन के बिना अब इस मामले में कुछ नहीं होगा और ट्रायल कोर्ट 8 जनवरी तक कोई कार्यवाही नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी से कहा कि हमें लगता है कि याचिकाकर्ता सिविल जज के आदेश को चुनौती दे सकते हैं. उन्हें सीपीसी और संविधान के तहत ये हक है.