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सिगरेट पीने वालों को कोविड-19 से ज्यादा खतरा : रिसर्च

न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस को लेकर हर दिन कोई न कोई खुलासा हो रहा है। दुनिया भर के वैज्ञानिक कोविड 19 के रहस्य को सुलझाने में लगे हुए हैं। कोविड 19 को लेकर अमरीका स्थिति यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया में एक रिसर्च हुआ है जिसमें पता चला है कि धूम्रपान करने वाले और कभी धूम्रपान कर चुके लोगों में कोविड-19 के गंभीर लक्षण विकसित होने की आशंका सामान्य लोगों से काफी अधिक है।

शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसे लोगों में कोरोना वायरस की वजह से मरने की आशंका भी ज़्यादा पाई गई है।

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इससे पहले अप्रैल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी सिगरेट पीने वालों के लिए विशेष चेतावनी जारी कर कहा था कि जब तक कोरोना वायरस का प्रकोप बना हुआ है, तब तक सिगरेट पीने और तंबाकू का सेवन करने वालों को अपनी यह आदत छोड़ देनी चाहिए। डब्लूएचओ से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान करने वालों को कोरोना वायरस संक्रमण से ज्यादा खतरा है।

कोविड 19 के संक्रमण से कौन ज्यादा प्रभावित हो सकता है इसको लेकर दुनिया के कई देशों में शोध हो रहा है।

यूसीएसएफ सेंटर फॉर टोबैको कंट्रोल रिसर्च एंड एजुकेशन के एक प्रोफेसर स्टैन्टन ग्लांज ने कहा है कि “कोविड-19 धूम्रपान करने वाले लोगों का जोखिम बढ़ा सकता है। ”

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के शोधकर्ताओं ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए चीन, दक्षिण कोरिया और अमरीका से रिव्यू के लिए आए 19 रिसर्च पेपरों का अध्ययन किया और पाया कि 30 प्रतिशत सिगरेट पीने वाले लोगों में, 17.6 प्रतिशत धूम्रपान ना करने वालों की तुलना में कोविड-19 का अधिक गंभीर रूप देखने को मिला।

शोधकर्ताओं ने लिखा है कि “आमतौर पर धूम्रपान और ई-सिगरेट का उपयोग सांस से जुड़े संक्रमण की गंभीरता को बढ़ाता है। हालांकि इसका कोविड-19 के मामलों में किस तरह का प्रभाव होता है, यह अध्ययन अभी नहीं किया गया है।”

शोधकर्ताओं के मुताबिक ‘एक अन्य कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी- MERS-COV के संक्रमण के समय देखा गया था कि धूम्रपान करने वालों की मृत्यु दर सामान्य लोगों की तुलना में अधिक थी और सिगरेट पीने वालों में संक्रमण की दर भी अधिक थी।”

शोधकर्ताओं ने कहा है कि सिगरेट पीने वाले लोगों से संबंधित और डेटा जुटाने की कोशिश की जानी चाहिए ताकि कोविड-19 के मामलों में धूम्रपान के प्रभाव पर कुछ पुख्ता समझ विकसित की जा सके।

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सिगरेट से क्यों बनाए दूरी ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार तंबाकू और धूम्रपान से श्वसन प्रणाली, सांस की नली और फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचता है। इससे टीबी, फेफड़ों के कैंसर सहित तमाम ऐसे रोग होते हैं जिनमें फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और सांस लेने में परेशानी होती है।

वरिष्ठ फीजिशियन डॉ चक्रपाणि पांडेय कहते हैं- कोरोना वायरस (कोविड-19) मुख्य रूप से इंसान की श्वसन प्रणाली पर ही असर करता है। एक स्टेज आने पर कोरोना के मरीजों को सांस लेने में भी काफी परेशानी होती है। जब पहले से ही खराब श्वसन तंत्र पर जब कोई (जानलेवा) वायरस हमला करेगा तो स्थिति गंभीर होनी ही है।

कोविड 19 फेफड़ों के लिए कितना खतरनाक है इसका असर हाल में आयी एक रिपोर्ट से भी लगता है। हांगकांग में कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पाया है कि हर तीन में से दो ठीक होने वाले रोगियों के फेफड़ों की कार्य क्षमता 20-30 फीसदी तक कम हो गयी।

मार्च के अंतिम सप्ताह में चीन में हुए एक रिचर्स में भी पता चला था कि जिन लोगों को तंबाकू, सिगरेट या अन्य किसी वजह के चलते सांस संबंधी परेशानियां हुई थीं, उनमें कोरोना वायरस संक्रमण ज्यादा तेजी से खतरनाक स्थिति में पहुंच गया।

यह शोध करीब 56 हजार कोरोना संक्रमित लोगों पर किया गया था। इस अध्ययन में यह भी सामने आया कि सामान्य व्यक्ति की तुलना में ब्लड प्रेशर, टीबी, कैंसर और मधुमेह के रोगियों में कोरोना वायरस के लक्षण ज्यादा तेजी से फैले।

डब्लूएचओ से जुड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी कहा था कि धूम्रपान के दौरान लोगों की उंगलियां बार-बार उनके होठों के संपर्क में आती हैं। इससे भी संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। हुक्के या चिलम के मामले में संक्रमित होने का डर और भी ज्यादा हो जाता है क्योंकि एक ही हुक्के या चिलम से कई लोग धूम्रपान करते हैं।

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