जुबिली स्पेशल डेस्क
राम विलास पासवान अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं लेकिन बिहार में उनकी यादे आज भी ताजा है। बिहार में जब से चुनाव की घोषणा हुई तब से वहां पर सियासी पारा लगातार चढ़ रहा है। चुनावी दंगल में नीतीश कुमार सत्ता में लौटने का दावा जरूर कर रहे हैं लेकिन उनके सपनों को कमजोर करने के लिए पासवान की पार्टी लोकजन शक्ति पार्टी ने बड़ा फैसला कर लिया था। शायद चिराग पासवन को यह पता चल गया है कि नीतीश की विदाई इस चुनाव में हो सकती है।
इस वजह से उन्होंने पहले ही बिहार में अलग चुनाव लडऩे का फैसला कर लिया था। इस दौरान लोजपा और जेडयू में जु़बानी जंग भी तेज हो गई थी। नीतीश के खिलाफ चिराग ने जमकर हमला बोला है। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि बिहार में नीतीश के खिलाफ हवा चल रही है।
चिराग से शुरू से बगावती तेवर अपनाया रखा है लेकिन इन सब के बीच राम विलास पासवान का कोई बयान नहीं आया है और वो दुनिया से भी रोकसत हो गए है। उनके निधन से चिराग पासवान को सियासी फायदा भी हो सकता है लेकिन यह देखना होगा कि अकेले चुनाव लडऩे का फैसला उनके लिए कितने फायदे का सौदा हो सकता है। उधर बीजेपी ने शुरू में चिराग को लेकर चुप्पी साध रखी थी और नीतीश बनाम चिराग की जंग में उन्होंने केवल दर्शक बनकर सारे नजारे को देखा है।
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बीजेपी की चुप्पी पर कई सवाल उठ रहे हैं। दरअसल बिहार की राजनीति में नीतीश एनडीए का चेहरा जरूर है लेकिन बीजेपी का एक धड़ा उनके खिलाफ है। इस वजह से बीजेपी इस मसले पर ज्यादा न बोलकर चुनावी नतीजे का इंतेजार करने में लगी हुई है लेकिन सबसे बड़ा सवाल चिराग पासवन का अब क्या होगा। अब चूंकि उनके पिता का साया भी उनके ऊपर नहीं है।
इसलिए उनकी राह आसान नजर नहीं आ रही है। अभी हाल में सोशल मीडिया पर चिराग पासवन का एक लेटर सामने आया है जिसमें पता चला है कि नीतीश कुमार के प्रति लोजपा कितनी नाराज रही है।
यह पत्र तब सामने आया जब रामविलास पासवन जिंदगी और मौत की जंग अस्पताल में लड़ रहे थे। उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि मेरे पिता का अपमान हुआ, मैं कैसे साथ आता। उनका यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रह है।
उधर बिहार की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज राय ने पटना से जुबिली पोस्ट को बताया कि लेटर बम को जितनी हाईप मिलनी चाहिए उतनी नहीं मिल पाई, क्योंकि बीच में चिराग के पिता रामविलास पासवन का निधन हो गया है। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि नीतीश इस बार अपना पुराना इतिहास शायद ही दोहरा पाये।
दरअसल बिहार में नीतीश के खिलाफ हवा चल रही है। जहां तक चिराग पासवान की बात है, अब चूंकि उनके पिता का निधन हो गया है।
इस वजह से जनता की सहानुभूति भी उनको मिल रही है लेकिन बिहार में चुनाव हमेशा जातिवाद पर ज्यादा लड़ा जाता है। रामविलास पासवान के सभी पार्टियों से अच्छे रिश्ते थे। अब देखना होगा कि चिराग पासवन को इस चुनाव में कितना फायदा मिलता है।
क्या लिखा है पत्र में
चिराग ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रेस कांफ्रेंस में जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से रामविलास जी के बीमार होने के बारे पूछा तो,उन्होंने कहा कि उनको उनके बीमारी के बारे में जानकारी नहीं है। प्रधानमंत्री इतने व्यस्त होने के बाद भी फोन करके मेरे नेता और पिता के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेते रहे। गृहमंत्री अमित शाह ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कई नेताओं ने फोन पर उनके कुशल-क्षेम की जानकारी ली।