जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी पर अपना वचस्व कायम करने के लिए चाचा और भतीजे के बीच घमासान जारी है। चिराग लोक जनशक्ति पार्टी पर अपनी पकड़ बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। चिराग पासवान ने बुधवार को पत्रकारों के सामने अपनी बात रखी है और बताया है कि कैसे उनके खिलाफ साजिश की गई है।
चिराग पासवान ने पत्रकारों से कहा कि पिछले कुछ समय से उनकी सेहत ठीक नहीं चल रही थी इस वजह से कुछ दिनों से बाहर नहीं आ पाए। चिराग पासवान ने कहा कि मेरा भरोसा नीतीश कुमार की नीतियों पर नहीं था, इसलिए मैंने किसी के सामने नहीं झुकने का फैसला किया।
पार्टी में जो लोग संघर्ष के पथ पर नहीं थे, उन्होंने अलग रास्ता अपनाया। मेरे चाचा पशुपति पारस ने भी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई। उन्होंने कहा कि वो चाहते थे कि सारा विवाद बंद कमरे में सुलझा लिया जाये लेकिन अब ये लड़ाई लंबी चलेगी और कानूनी तरीके से लड़ी जाएगी।
उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था।
दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया। मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने का निरंतर प्रयास किया: चिराग पासवान https://t.co/ttjqoDmvon
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 16, 2021
इससे पूर्व बुधवार को दिल्ली में पशुपति पारस के आवास के बाहर चिराग पासवान के समर्थकों ने प्रदर्शन किया। पार्टी दो गुटों में बंटती हुई दिख रही है. हालांकि, पशुपति पारस का कहना है कि लोकतंत्र में इस तरह के प्रदर्शन होते रहते हैं।
पशुपति पारस ने पांच सांसदों के साथ मिलकर पार्टी पर कब्जा करने की तैयारी कर डाली है। इतना ही नहीं पार्टी के संसदीय दल के नेता के रूप में पशुपति पारस को मान्यता भी मिल गई लेकिन चिराग इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाले हैं और उन्होंने भी अपने कड़े तेवर दिखाते हुए पांचों सांसदों को पार्टी से निकाल बाहर करने में देर नहीं की है।
इसके आलावा उन्होंने अब लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखकर पशुपति पारस को संसदीय दल के नेता बनाने पर ऐतराज जताया है और स्पीकर ओम बिड़ला पशुपति पारस को मान्यता देने के फैसले पर फिर से विचार किया जाए।