जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान की मौत के बाद उनकी लोक जनशक्ति पार्टी भाई और बेटे के बीच बंट गई. पार्टी को लेकर चचा-भतीजे में संग्राम छिड़ गया तो ज्यादा नुक्सान चिराग पासवान का हुआ. चाचा पशुपति कुमार केन्द्रीय मंत्री भी बन गए. केन्द्र सरकार ने राम विलास पासवान का बंगला उनके भाई को आवंटित करने का प्रस्ताव भी दिया लेकिन पशुपति ने उसे लेने से इनकार कर दिया. चिराग पासवान को इसे खाली करने का नोटिस भेजा गया तो उन्होंने पिता की बरसी तक इसी में रहने की अनुमति माँगी. अब रामविलास पासवान के बेटे और पत्नी को उस बंगले से बेदखल करने के लिए टीम गठित हो गई है. टीम बंगले में पहुँच गई है. जिस बंगले में राम विलास पासवान की प्रतिमा लगी है. जिस मकान में रामविलास पासवान स्मृति का पत्थर भी लगा है, उसे छोड़कर अब माँ-बेटे को निकलना होगा.
केन्द्रीय मंत्रियों के लिए तैयार किये गए बंगलों में राम विलास पासवान का बंगला सबसे बड़े बंगलों में से एक है. 12 जनपथ बंगला राम विलास पासवान को 31 साल पहले आवंटित किया गया था. राम विलास पासवान की मृत्यु के बाद केन्द्रीय आवास और शहरी मंत्रालय ने चिराग पासवान को इसे खाली करने के लिए नोटिस दिया था.
चिराग पासवान को यह बंगला खाली करना पड़ेगा क्योंकि यह बंगला लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय के तौर पर पहचाना जाता है लेकिन क्योंकि पार्टी चाचा-भतीजे के बीच टूट गई है इसलिए यह पार्टी के नाम आवंटित नहीं हो सकता है. यह बंगला रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के नाम आवंटित किया जा चुका है. चिराग को इस बंगले से अपनी माँ को लेकर अब जाना ही होगा. बंगला खाली होने के साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी का पता भी बदल जायेगा.
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