जुबिली न्यूज डेस्क
चिराग पासवान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चिराग को पिता रामविलास पासवान से विरासत में पार्टी अब उन्हीं से अलग हो गई। कल तक उनकी हर बात में हां मिलाने वाले आज उनके दुश्मन बन गए हैं।
मंगलवार को लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस के आवास पर हुई, जिसमें चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया गया।
उनकी जगह अब सूरजभान सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष को यह निर्देश दिया गया कि वह 5 दिन के अंदर राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाएं।
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पार्टी पर अपना प्रभाव बनाए रखने की कोशिशों के तहत चिराग पासवान सोमवार को जब दिल्ली में अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के घर पहुंचे थे तब मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि वह एक प्रस्ताव लेकर गए थे जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की पेशकश के साथ ही उनकी मां रीना पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग शामिल थी।
सोमवार को जब चिराग अपने चाचा से मिलने उनके घर पहुंचे तो बंद गेट पर न सिर्फ उन्हें 20 मिनट तक इंतजार कराया गया बल्कि डेढ़ घंटा इंतजार के बाद भी चाचा से मुलाकात नहीं हो सकी। जाहिर है पशुपति कुमार पारस को चिराग को छोड़कर पार्टी के सभी पांच सांसदों का समर्थन होने के चलते इस वक्त अपना पलड़ा भारी लग रहा है।
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पशुपति किसी तरह की सुलह-सफाई के पक्ष में नहीं हैं बल्कि पूरी तरह पार्टी पर काबिज होना चाहते हैं। चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज भी फिलहाल चाचा पारस के साथ हैं। ऐसे में चिराग पार्टी में बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं।
इसके पहले रविवार की देर शाम पार्टी के पांच सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया था। पारस खुद हाजीपुर के सांसद हैं। इसके अलावा उनके साथ चिराग को छोड़ चौधरी महबूब अली कैशर, वीणा सिंह, सूरजभान के भाई सांसद चंदन सिंह और रामचन्द्र पासवान के पुत्र प्रिंस राज हैं।
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पारस के भतीजे प्रिंस बिहार लोजपा के अध्यक्ष भी हैं। सभी सांसदों ने पारस को नेता चुनने के बाद रविवार की रात में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को इसका पत्र सौंप दिया था। उसके बाद सोमवार को अध्यक्ष ने उन्हें मान्यता दे दी।