अविनाश भदौरिया
बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद को इलाज के लिए राजधानी लखनऊ के पीजीआई में भर्ती कराया गया है। चिन्मयानंद सीने में दर्द और लो ब्लडप्रेशर की शिकायत के चलते अस्पताल में भर्ती कराये गए हैं। इसके पहले चिन्मयानंद को शाहजहांपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इतना ही नहीं डॉक्टरों की एक टीम चिन्मयानंद का इलाज उनके मुमुक्षु आश्रम में भी कर रही थी। ये कोई पहला मामला नहीं है जब किसी आरोपी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया हो, सच तो यह है कि अक्सर ऐसा देखनो को मिलता है जब कोई हाईप्रोफाइल मामला सिस्टम दबा नहीं पाता और उस पर एक्शन लेना मजबूरी हो जाती है तो आरोपी को जेल की सलाखों में डालने की बजाय अस्पताल के बेड में लिटा दिया जाता है।
गौरतलब है कि इस मामले में भी शुरुआत से ही सरकार और प्रशासन ने जिस तरह ढुलमुल रवैया अपनाया हुआ है, उससे चारों ओर सिस्टम की थू-थू हो रही है। शायद यही वजह रही कि शुक्रवार को चिन्मयानंद को गिरफ्तार करना पड़ा लेकिन अब उनकी बीमारी का हवाला देकर पीजीआई में भर्ती करा दिया गया है। जबकि चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए पीड़ित छात्रा अपने पिता और भाई के साथ प्रयागराज पहुंची है। माना जा रहा है कि छात्रा अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल करेगी। अग्रिम जमानत न मिलने की स्थिति में छात्रा की गिरफ़्तारी तय मानी जा रही है। वहीं, रंगदारी मामले में छात्रा के दोस्त संजय, विक्रम और सचिन को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
ये है पूरा मामला
स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की एक छात्रा ने 24 अगस्त को एक विडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण और कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने के आरोप लगाए और उसे व उसके परिवार को जान का खतरा बताया था।
वीडियो सामने आने के बाद छात्रा लापता हो गई थी। इस मामले में 25 अगस्त को पीड़िता के पिता की ओर से कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने की धाराओं में स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया गया था। इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने पांच करोड़ रुपय रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज करा दिया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 30 अगस्त को पीड़िता को उसके एक दोस्त के साथ राजस्थान से बरामद कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीड़िता को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की। 16 सितंबर को पीड़िता की ओर से दिल्ली पुलिस को दी गई शिकायत पर संज्ञान लेते हुए धारा 164 में उसका बयान दर्ज कराया गया। एसआईटी ने मोबाइल, पेन ड्राइव और गवाहों के मोबाइल सीज कर उन्हें फॉरेंसिक लैब भेजा।
छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद पर करीब नौ माह तक यौन शोषण करने, दुष्कर्म कर उसका विडियो बनाने, नहाने का विडियो बनाने और उन्हें गायब कर साक्ष्य मिटाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। 20 सितंबर को उप्र पुलिस की एसआईटी ने चिन्मयानंद को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। 23 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चिन्मयानंद की पेशी है।
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