शबाहत हुसैन विजेता
नई दिल्ली. देश एक तरफ कोरोना से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ लद्दाख में चीन ने अपनी सेना की घुसपैठ करा दी है. सीमा पर तनाव बढ़ा है तो एक बार फिर भारत में चीनी सामान के बहिष्कार की आवाज़ उठी है. चीनी सामान के बहिष्कार की आवाज़ उठना कोई नई बात नहीं है. पिछले कई साल से इस तरह की आवाज़ उठती रही है, लेकिन दीवाली पर चीनी झालर के बहिष्कार के साथ ही बहिष्कार की रस्म अदायगी हो जाती है.
चीन भी यह बात अच्छी तरह से जानता है कि भारतीय बाज़ार में वह इतना अन्दर तक घुस चुका है कि उसकी वापसी में भी कई साल गुज़र जाएंगे. भारत में व्यापार करते-करते चीनी कम्पनियों ने भारतीयों की मनोदशा को भी बहुत अच्छी तरह से पढ़ना सीख लिया है.
दो दशक पहले जब भारत में चाइना बाज़ार सजना शुरू हुआ था तब दुकानों पर चाइना में बने खिलौनों में आई लव माई इंडिया के स्टीकर लगे हुए थे और अब जब भारतीयों में चीनी उत्पादों को लेकर रोष है तब चीन में बड़े पैमाने पर भारत में बेचने के लिए टीशर्ट तैयार की जा रही हैं जिन पर बॉयकाट चाइना लिखा हुआ है.
चीन ने अपने बॉयकाट को प्रचारित करने वाली कई डिजाइनों की टीशर्ट तैयार करवाई हैं. इन पर बॉयकाट चाइना, बॉयकाट मेड इन चाइना और बॉयकाट चाइना लिखने के साथ चीन का नक्शा बनाया गया है. यह टीशर्ट अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अलीबाबा डॉट कॉम और अमेज़न के ज़रिये बेची जाएंगी.
अपने खुद के विरोध की आवाज़ में अपनी आवाज़ को जोड़कर भी चीन भारत में व्यापार करने जा रहा है. बहुत संभव है कि अगले एक-दो महीनों में भारतीय चीन की बनी टीशर्ट के ज़रिये चीन के उत्पादों का विरोध करते हुए नज़र आ जायें.
चीन अवसर को बेचने का सलीका बहुत अच्छी तरह से जानता है. भारत में व्यापार करने में वह हर हाल में सफल रहता है क्योंकि उसकी टीम बाज़ार की नब्ज़ को पकड़ना जानती है. उसे पता है कि चीनी उत्पाद के बहिष्कार के नाम पर लोग चीनी झालर का बहिष्कार ही करेंगे. इसी वजह से उसने बाज़ार में मिट्टी के दिए ओमे मिट्टी के लक्ष्मी गणेश भी उतार दिए. चीन में बने लक्ष्मी-गनेश और दीयों की फिनिशिंग भारतीय दीयों और लक्ष्मी-गणेश से बहुत बेहतर होती है. यही वजह है कि दीवाली पर झालर बिकने में थोड़ी कमी आयी तो उसे चीन ने दीयों और मूर्तियों के ज़रिये कवर कर लिया.
दीवाली के पटाखा बाज़ार पर भी चीन का ही कब्ज़ा हो चुका है. चीन के पटाखे, चीन की फुलझड़ियाँ, चीन की आकर्षक बंदूकें भारतीय बाज़ार में छाई हुई हैं.
यह भी पढ़ें : अमेरिका में हिंसा के बीच नेशनल गार्ड के 67 हजार सैनिक तैनात
यह भी पढ़ें : बहुत पुराना है अमेरिका में रंगभेद का इतिहास
यह भी पढ़ें : क्या शिवपाल सपा की साइकिल को देंगे रफ्तार ?
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : … तो जन्नत में बदल गई होती यह ज़मीन
होली पर बिकने वाले अबीर, गुलाल और रंगों पर भी चीन ने काफी हद तक कब्ज़ा जमा लिया है. बाज़ार में बिकने वाली पिचकारियों में सबसे ज्यादा पिचकारियाँ चीन की होती हैं. बच्चो की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए चीन पिचकारियों को इतने मनभावन रूप में पेश करता है कि लोग उन्हें हाथों-हाथ लेते हैं.
होली का त्यौहार क्योंकि चीन में भी मनाया जाता है और वहां यह त्यौहार करीब 15 दिनों तक चलता है इसलिए चीन को होली के बाज़ार की समझ भी खूब है.
टेलीविज़न पर आने वाले बच्चो के ज़्यादातर चैनल चीन के ही हैं. चीन उन चैनलों पर आने वाले धारावाहिकों में जिन किरदारों का इस्तेमाल करता है उन्हीं में से सबसे लोकप्रिय किरदारों को होली के बाज़ार में पिचकारी के रूप में भेज देता है जिसे बच्चे खुशी-खुशी ले लेते हैं.