न्यूज डेस्क
मोदी सरकार ने जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किया है तब से पाकिस्तान दुनिया भर के नेताओं से इस मसले पर हस्तक्षेप करने की मांग कर रहा है। लेकिन लगभग सभी देशों के नेताओं ने इस मामले को भारत का आंतरिक मामला बता कर इस मसले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है।
रूस और अमेरिका के बाद चीन ने भी जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर भारत का समर्थन किया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी जम्मू-कश्मीर मामले पर विचार विर्मश करने चीन के दौर पर पहुंचे हैं, लेकिन चीन के नेताओं ने भी इसे भारत का आंतरिक मामला बताते हुए पाकिस्तान की मदद करने से मना कर दिया है।
रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है भारत का जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के दायरे में लिया गया है। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का फैसला भी भारत ने संविधान के दायरे में लिया है।
रूस ने उम्मीद जताई है कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति जरूर पैदा हुई है लेकिन दोनों ही देश इस मामले में संयम बरत रहे हैं। बयान में कहा गया है कि रूस हमेशा से भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्तों का पक्षधर रहा है। रूस ने उम्मीद जताई है कि दोनों देश किसी भी तरह के विवाद को राजनीतिक और राजनयिक संवाद से सुलझा लेंगे।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने दुनिया भर के नेताओं से इस मसले पर हस्तक्षेप करने की मांग की है। पाकिस्तान ने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भी चिट्ठी लिखी है और इस मामले में भारत को रोकने की मांग की है।
हालांकि, यूएन महासचिव गुटेरेस ने शिमला समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं कर सकता। हालांकि उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों के नाजुक हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा किा हम दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।
इसी के साथ अमेरिका ने भी दोहराया है कि वह कश्मीर को लेकर अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं कर रहा है। वह भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे सुलझाने पर लगातार नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे को बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए।