Wednesday - 30 October 2024 - 5:48 PM

NSG में भारत की एंट्री पर फिर रोड़ा बना चीन

न्यूज डेस्क

एनएसजी की सदस्यता के लिए मई 2016 से भारत के लिए रोड़ा बने चीन ने एक बार फिर इस पर अडंगा लगा दिया है।  चीन ने कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में गैर-एनपीटी सदस्य देशों की भागीदारी पर किसी विशेष योजना तक पहुंचने से पहले इस समूह में भारत के प्रवेश पर कोई चर्चा नहीं होगी। हालांकि, चीन खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के मुद्दे पर तो मान गया। आपको बता दें कि यह फैसला कज़ाख़िस्तान की राजधानी अस्ताना में 20-21 जून को चल रही NSG की पूर्ण बैठक में लिया गया।

जानकारी के अनुसार, NSG की सदस्यता के लिए भारत ने मई 2016 में आवेदन किया था उसके बाद से ही लगातार चीन अड़ंगा लगा रहा है। उसका कहना है कि इस संगठन में केवल उन्हीं देशों को शामिल किया जाए जिन्होंने अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए हैं। दरअसल, NSG एक 48 सदस्य देशों का समूह है जो वैश्विक तौर पर परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है।

एनएसजी में भारत की एंट्री को लेकर चीन की सहमति कब तक बन पाएगी इस पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने समय सीमा बताने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मसले पर विस्तार से चर्चा करने की जरूरत है।

इसके अलावा भारत के एनएसजी में शामिल किए जाने को लेकर चीन के रुख में बदलाव को लेकर कांग ने बताया कि कज़ाख़िस्तान के अस्ताना में चल रही एनएसजी की बैठक में भारत को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। जब तक परमाणु अप्रसार संधि में हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को लेकर किसी योजना पर सहमति नहीं बन जाती है, तब तक एनएसजी में दूसरे देशों को शामिल करने को लेकर चर्चा नहीं होगी।

चीन भारत के एनएसजी में प्रवेश पर अड़ंगा नहीं

इस दौरान प्रवक्ता कांग ने कहा कि चीन भारत के एनएसजी में प्रवेश पर अड़ंगा नहीं लगा रहा है। वह तो सिर्फ एनएसजी के नियमों और प्रक्रियाओं के पालन की बात कह रहा है। उन्होंने कहा, ‘चीन भारत ही नहीं, बल्कि किसी भी देश के एनएसजी में शामिल किए जाने पर अड़ंगा नहीं लगा रहा है। लू ने कहा कि पेइचिंग नई दिल्ली की एंट्री को रोक नहीं रहा है। उन्होंने दोहराया कि चीन का स्टैंड यह है कि NSG के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।

जब उनसे कहा गया कि भारत ने कहा है कि NSG के ज्यादातर सदस्य देशों ने उसकी एंट्री का समर्थन किया है और चीन ने इसे रोक रखा है। इस पर लू ने कहा, ‘मैं भारत के लिए नहीं कह सकता कि चीन ने उसे रोका है लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहता हूं कि NSG एक बहुपक्षीय अप्रसार तंत्र है और इसके कुछ नियम और कानून हैं और सभी सदस्यों को इसका पालन करना चाहिए। यह फैसला आम सहमति से होना चाहिए।’

परमाणु परीक्षण के विरोध में किया था गठन

बता दें कि एनएसजी के 48 सदस्यों में चीन भी शामिल हैं। यह समूह असैन्य कार्यों के लिए परमाणु सामग्री और तकनीक के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करता है। भारत द्वारा साल 1974 में परमाणु परीक्षण किए जाने के विरोध में एनएसजी का गठन हुआ था।

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भारत ने मई 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया था, जिसका चीन शुरू से ही विरोध कर रहा है। भारत के साथ ही पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया है। चीन का कहना है कि एनएसजी में सिर्फ उन्हीं देशों को शामिल किया जाएगा, जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) में हस्ताक्षर किया है। भारत ने अब तक परमाणु अप्रसार संधि में हस्ताक्षर नहीं किया है।

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