जुबिली न्यूज डेस्क
भारत और चीन के बीच पिछले चाह माह से एलएसी पर तनाव के बीच भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए कई बड़े कदम उठाये हैं। बड़ी संख्या में सरकार ने चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाया तो वहीं सरकारी काम के लिए बाहर के देशों के लिए टेंडर के नियमों में भी फेरबदल किया था।
इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का नारा भी दिया और कहा कि देशवासी लोकल सामान पर जोर दे। पिछले दिनों चीनी सामान का खूब बहिष्कार किया गया। साथ ही राज्य सरकारों ने भी कुछ कदम उठाए। लेकिन जानकारों ने कहा कि भारत इतना ज्यादा चीन पर निर्भर है कि हर सामान के लिए आत्मनिर्भर हो पाना भारत के लिए आसान नहीं होगा।
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चीन ने भारत में सीधे तौर पर करोड़ों डॉलर निवेश कर रखा है। मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया गया कि देश की 1,600 से भी अधिक भारतीय कंपनियों को अप्रैल 2016 से मार्च 2020 के दौरान चीन से एक अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ है।
सरकार से प्रश्न किया गया था कि क्या यह तथ्य है कि भारतीय कंपनियों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप में चीनी एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है।
राज्यसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 1,600 से अधिक कंपनियों ने अप्रैल 2016 से मार्च 2020 की अवधि के दौरान चीन से 102 करोड़ 2.5 लाख डालर (1.02 अरब डॉलर) का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया। ये कंपनियां 46 क्षेत्रों में थीं।
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इनमें से , पुस्तकों की छपाई (लिथो प्रिंटिंग उद्योग सहित), इलेक्ट्रॉनिक्स, सेवाओं और बिजली के उपकरणों की कंपनियों ने इस अवधि के दौरान चीन से 10 करोड़ डॉलर से अधिक का एफडीआई प्राप्त किया।
आंकड़ों से पता चलता है कि ऑटोमोबाइल उद्योग ने चीन से अधिकतम 17.2 करोड़ डालर का एफडीआई प्राप्त किया, जबकि सेवा क्षेत्र ने 13 करोड़ 96.5 लाख डॉलर का एफडीआई प्राप्त किया।
निगमित मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लिखित जवाब में कहा कि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय चीनी एजेंसियों द्वारा किए गए निवेश के बारे में जानकारी नहीं रखता है।