जुबिली न्यूज डेस्क
चीन ने सीपीईसी परियोजना के कामकाज की प्रगति का बचाव किया है। सोमवार को चीन ने सभी उन रिपोर्ट्स को ‘आधारहीन’ बताया है जिनमें चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की एक मुख्य परियोजना के कर्ज के लिए पाकिस्तान से अतिरिक्त गारंटी मांगे जाने की बात कही जा रही है।
सीपीईसी की परियोजना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत चल रही है।
पाकिस्तानी मीडिया में ऐसी रिपोर्ट आई थी कि महामारी के बाद हाल की चर्चाओं में पाकिस्तान के कर्ज चुकाने की क्षमता को लेकर चिंताएं जाहिर की गई हैं।
मालूम हो सीपीईसी को लेकर भारत अपनी चिंता जाहिर कर चुका है। इसी कारण भारत बीआरआई में शामिल नहीं हुआ था। उसकी पहली चिंता इस परियोजना का पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से निकलना है जो चीन में शिंजियांग प्रांत को जोड़ता है।
पाकिस्तान के द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने रिपोर्ट किया था चीन ने मेन लाइन-1 परियोजना के लिए 6 अरब डॉलर का कर्ज देने से पहले अतिरिक्त गारंटी की मांग की है। इस परियोजना में पेशावर से कराची तक 1,872 किलोमीटर रेल लाइन को अपग्रेड किया जाना है।
अखबार में रिपोर्ट में इसकी वजह ‘पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति’ को बताया है। यह मुद्दा इस महीने की शुरुआत में मेन लाइन-1 की वित्तीय समिति की बैठक के दौरान उठाया गया था।
इन सभी आरोपों को चीनी विदेश मंत्रालय ने खारिज करते हुए कहा है कि उसने कोई अतिरिक्त गारंटी नहीं मांगी है और सीपीईसी परियोजना महामारी के बावजूद ट्रैक पर है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लीजिअन ने कहा, “ये रिपोर्ट्स बस बेबुनियाद हैं।”
लीजिअन ने कहा, “बीआरआई के महत्वपूर्ण पायलट प्रोजेक्ट सीपीईसी ने 2013 में शुरुआत के बाद से अपने विकास की सकारात्मक गति बनाए रखी है। कोविड-19 महामारी के कारण निर्माण में कोई बाधा नहीं आई है, कोई नौकरी नहीं गई है और सीपीईसी परियोजना से वर्कफ़ोर्स कम नहीं की गई है, जो प्रभावी रूप से महामारी से लडऩे और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में पाकिस्तान की मदद कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि चीन की अति-महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई के तहत बनने वाले सीपीईसी की कुल लागत 60 अरब डॉलर है जिसमें पाकिस्तान में सड़क, रेलवे लाइन और विद्युत परियोजनाओं का एक नेटवर्क खड़ा करना है। इस साल इस परियोजना की समीक्षा हो रही है।
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इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान में चीन के दूतावास ने एक बयान जारी कर इसमें देरी होने पर कहा था कि सीपीईसी परियोजना सही ट्रैक पर है और बीते पांच सालों में 32 परियोजनाएं ‘समय से पहले पूरी हो चुकी हैं।’
इस बयान में अमेरिका की भी निंदा की गई थी। वहीं अमेरिका ने कहा था कि चीनी परियोजना भारी कर्ज लाद रही है। इन आरोपों पर चीन ने कहा था, “जहां तक तथाकथित कर्ज के मुद्दे का सवाल है तो स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान पर कुल विदेशी कर्ज 110 अरब डॉलर का है।”
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चीनी दूतावास के अनुसार, सीपीईसी का कर्ज 5.8 अरब डॉलर है जो पाकिस्तान के कुल कर्ज का 5.3 फीसदी है जिसको 20-25 साल में लगभग 2 फीसदी की ब्याज दर से वापस करना है और 2021 से 30 करोड़ डॉलर का सालाना भुगतान शुरू हो जाएगा।