Friday - 25 October 2024 - 3:21 PM

अपने बच्चे पढ़ाते हैं विदेश में और घाटी के बच्चों से कराते हैं पत्थरबाजी

न्यूज डेस्क

ये राजनीति का सबसे घिनौना रूप है। अपने फायदे के लिए मासूम बच्चों के हाथ में कलम-किताब पकड़ाने के बजाए पत्थर पकड़ा रहे हैं और अपनी राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं। हर दिन के बंद से घाटी में अवाम परेशान है और अलगाववादी नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़ाई के साथ सुख और सुकून की जिंदगी जी रहे हैं।

घाटी में स्कूली बच्चों से पत्थरबाजी कराने, आतंकियों के मारे जाने पर स्कूलों को जलवाने और हड़ताल कर स्कूल बंद कराने वाले अलगाववादी खुद अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाते हैं। इतना ही नहीं इनके बच्चे न सिर्फ विदेश में पढ़ रहे है, बल्कि वहीं नौकरी भी कर रहे हैं।

गृहमंत्री अमित शाह ने एक जुलाई को राज्यसभा में अलगाववादी नेताओं के इस पाखंड का खुलासा किया था। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने बताया था कि पिछले 70 सालों में किस तरह कश्मीर में आम आवाम को जरूरी सहूलियतों से भी मरहूम रखा गया।

112 अलगाववादियों के 220 बच्चे है विदेश में

कश्मीर घाटी में सक्रिय 112 अलगाववादी नेताओं के कम से कम 220 बच्चे, रिश्तेदार या करीबी विदेशों में पढ़ रहे हैं या सुकून की जिंदगी जी रहे हैं। इतना ही नहीं पढ़ाई पूरी करने के बाद इनमें से ज्यादातर नेताओं के बच्चे विदेश में ही रहकर नौकरी कर रहे हैं।

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इन अलगाववादी नेताओं में हुर्रियत के भी तमाम बड़े नेता शामिल हैं। इनके बच्चों को न तो कश्मीरियत से मतलब है और न ही घाटी में पनप रहे आतंकवाद से इनका कोई नाता है। इससे इन अलगाववादी नेताओं के दोहरे चरित्र का अंदाजा लगाया जा सकता है, जो बात-बात पर स्थानीय युवाओं को कानून हाथ में लेने के लिए उकसाते हैं। उन्हें देशविरोधी गतिविधियों में धकेल देते हैं।

गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पेश रिपोर्ट में कश्मीर के 130 हुर्रियत नेताओं की भी कुंडली पेश की है, जिनके बच्चे विदेश में सेट हैं।
शाह ने कहा कश्मीरियत और कश्मीरियों की बात करने वाले अलगाववादी नेता आए दिन स्कूलों व कालेजों को बंद करने का ऐलान करते हैं।

बच्चों और युवाओं को पढ़ाई से दूर कर उन्हें पत्थरबाजी के लिए उकसाते हैं। जबकि खुद अपने बच्चों को विदेशों में भेज कर अच्छी से अच्छी शिक्षा का बंदोबस्त कर रहे हैं।

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उनके परिवार के लोग कश्मीर घाटी से दूर बड़ी संख्या में विदेशों में बसे हुए हैं। छानबीन के बाद ऐसे अलगाववादी नेताओं के चेहरे सामने आने लगे हैं, जो अपने बच्चों का भविष्य संवारकर घाटी के बच्चों के हाथों में पत्थर थमा रहे हैं।

प्रमुख अलगाववादी और उनके बच्चे

तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सेहराई के 2 बेटे खालिद और आबिद अशरफ सऊदी अरब में काम करते हैं और वहीं बसे हुए हैं। वहीं जमात-ए-इस्लामी के सदर गुलाम मुहम्मद बट का बेटा सऊदी अरब में डॉक्टर है।

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दुख्तरान-ए-मिल्लत की आसिया अंद्राबी के 2 बेटे विदेश में पढ़ते हैं। उनका बेटा मुहम्मद बिन कासिम मलेशिया और अहमद बिन कासिम ऑस्ट्रेलिया में पढ़ता है। इसी तरह, सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नीलम गिलानी ने हाल ही में पाकिस्तान में एमबीबीएस कोर्स पूरा किया है।

हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक की बहन राबिया फारूक एक डॉक्टर हैं और अमेरिका में सेटल हैं। इसी तरह बिलाल लोन के बेटी-दामाद लंदन में सेटल हैं और उनकी छोटी बेटी ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रही है।

अलगाववादी मोहम्मद शफी रेशी का बेटा अमेरिका में पीएचडी कर रहा है। वहीं अशरफ लाया की बेटी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। मुस्लिम लीग के नेताओं मुहम्मद युसूफ मीर और फारूक गपतुरी की बेटियां भी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं।

इसी तरह डेमोक्रैटिक मूवमेंट लीडर ख्वाजा फरदौस वानी की बेटी भी पाकिस्तान में मेडिकल कोर्स कर रही है। वहीदत-ए-इस्लामी नेता निसार हुसैन राठेर की बेटी ईरान में काम करती है और अपने पति के साथ वही पर सेटल है।

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