न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस ने भले ही बच्चों को स्कूल से दूर कर दिया हो, लेकिन स्कूलों ने इसका विकल्प निकाल लिया है। बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं तो स्कूल बच्चों के घर तक पहुंच गया है। देश-दुनिया में इस कोरोना संकट के बीच छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लासेस चलायी जा रही है। अब इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई-लिखाई से बच्चों के साथ-साथ मां-बाप की भी बोरियत कम हो गई है।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश में अधिकांश स्कूल बहुत पहले बंद कर दिए गए हैं। अभी जो हालात है उससे स्कूल खुलने की उम्मीद भी बहुत कम हैं। इस संकट को देखते हुए स्कूल टेक्रोलॉजी का सहारा ले रहे हैं। गांव से लेकर शहरों में अब सुबह-सुबह बच्चे घर में अपनी क्लास लगा रहे हैं और ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं।
भारत ही नहीं दुनिया के अधिकांश देशों में काफी समय से स्कूल बंद हैं। इस हालात स्कूल ऑनलाइन क्लासेस चला रहे हैं। भारत में भी अधिकांश प्राइवेट स्कूल ऐसा कर रहे हैं और बाकी इसकी ओर प्रयासरत हैं। और यह सब टेक्नोलॉजी की बदौलत हो पा रहा है। बच्चों ने पढ़ाई का ऑनलाइन तरीका निकाल लिया है।
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अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर माता-पिता भी चिंतित हैं। इसलिए वह भी स्कूल को सहयोग कर रहे हैं। शहरों में तो यह सब आसानी से हो जा रहा है, लेकिन क्या देश के सुदूर इलाकों में यह संभव हैं? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बड़े शहरों में कई स्कूलों ने अपना इंट्रानेट सिस्टम बना लिया है या वे जूम जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। जहां तक 15 लाख सरकारी स्कूलों की बात है तो सरकार ने 20 करोड़ स्टूडेंट्स के लिए पढ़ाई के दूसरे तरीके अपनाने के वास्ते यूनिसेफ से हाथ मिलाया है।
इस बीच, ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़ी तमाम कंपनियां भी मौके का फायदा उठाने में लग गई हैं, जिसमें बायजूस, वेदांतू, टॉपर, अनाकैडेमी और अपग्रेड शामिल हैं। वे अभी स्टूडेंट्स को अपने प्लेटफॉर्म का मुफ्त इस्तेमाल करने, लाइव क्लासेज और कंटेट ऑफर कर रही हैं।
वहीं छोटे शहरों और गांवों में बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन की सुविधा देने के लिए कई एडुटेक फर्में व्हाट्सएप वीडियो और यूट्यूब वीडियो का इस्तेमाल कर रही हैं।
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ग्लोबल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इंस्टूट्यूट एंड ग्लोबल क्लासरूम (जीईटीआई) की डायरेक्टर सुनीता गांधी कहती हैं, “दूसरे देशों के अनुभव से सबक लेते हुए हमने जान लिया था कि स्कूलों को बंद करना होगा। स्कूल बंद होने से कुछ हफ्ते पहले ही हमने प्लान बना लिया था। जीईटीआई शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रही है। वह व्हाट्सएप पर क्लासेज के वीडियो भेजने में इन शिक्षकों की मदद कर रही है। गांधी के मुताबिक, कई स्कूल इस काम में उनसे जुड़ चुके हैं। गूगल क्लासरूम, गूगल हैंगआउट, यूट्यूब और व्हाट्सएप के जरिए स्टूडेंट्स की मदद की जा रही है।