जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। जब दुनिया महामारी से बचाव का रास्ता खोज रही थी तब कुछ लोग बाल विवाह की तैयारियों में जुटे हुए थे। इसकी खबर जब जिम्मेदारों को लगी तो वे सक्रीय हुए और इसे रोका। जानकारी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान कई मामले बाल विवाह के सामने आये, जिनकी शिकायतें भी हुई।
बाल विवाह केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में होते आएं हैं और समूचे विश्व में भारत का बालविवाह में दूसरा स्थान माना जाता हैं। भारत में विश्व के 40% बाल विवाह होते हैं और समूचे भारत में 49% लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पूर्व ही हो जाता हैं। भारत में बाल विवाह केरल राज्य, जो सबसे अधिक साक्षरता वाला राज्य है, में अब भी प्रचलन में है।
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यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में नगरीय क्षेत्रों से अधिक बाल विवाह होते है। आंकड़ों के अनुसार बिहार में सबसे अधिक 68% बाल विवाह की घटनाएं होती है जबकि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम 9% बाल विवाह होते है।
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उत्तर प्रदेश की राजधानी में बाल विवाह की शिकायतें लगातार आ रही हैं। पिछले एक साल में करीब 50 से अधिक मामले सामने आए, जिन्हें बाल कल्याण समिति ने चाइल्ड लाइन की मदद से इन्हें रुकवाया भी है। आंकड़ो के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा मामले माल और मलिहाबाद क्षेत्र से आए हैं। खास बात यह है कि शहरी इलाकों से भी बाल विवाह की शिकायतें मिली हैं।
न्यायालय बाल कल्याण समिति को अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक माल क्षेत्र में 21 बाल विवाह की शिकायतें मिलीं थीं। इस पर कार्यवाई करते हुए चाइल्ड लाइन व पुलिस की मदद से इन शादियों को रोका गया था और अभिभावकों को ऐसा दोबारा न करने के निर्देश दिए गए थे।
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यही नहीं मलिहाबाद में चार, काकोरी में चार, बीकेटी में दो और गोसाईगंज में भी दो मामले सामने आए। यही नहीं लखनऊ शहर से भी पिछले एक साल में 12 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें कुछ विवाह तो लॉकडाउन में कराने की तैयारी थी।
लॉकडाउन के दौरान भी बाल विवाह की शिकायतें सामने आईं। न्यायालय बाल कल्याण समिति की सदस्य डॉ. संगीता शर्मा के मुताबिक अप्रैल में इसकी शिकायत नहीं मिली। हालांकि मई में दो और जून में अब तक दो मामले प्रकाश में आए। इनमें एक मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गए हैं।
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