- 8 अप्रैल को सर्कुलर जारी कर देशभर के 20 क्षेत्रीय कार्यालयों से तालाबंदी में फंसे प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा एकत्र करने को कहा गया
- जिलेवार और राज्यवार इकट्ठा करना था यह आंकड़ा
न्यूज डेस्क
देश में तालाबंदी लागू होने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में कोई रहा तो वह हैं प्रवासी मजदूर। तालाबंदी की वजह से अभी भी अलग-अलग राज्यों में लाखों प्रवासी मजदूर जहां-तहां फंसे हुए हैं। जबकि हजारों प्रवासी मजदूर तालाबंदी के दूसरे दिन पैदल ही सैकड़ों मील दूर अपने घरों के लिए निकल लिए थे। यह सिलसिला अभी भी चल रहा है। इनको लेकर सरकार की गंभीरता पर भी सवाल उठे और आज भी उठ रहे हैं।
प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार कितनी गंभीर है यह तो नहीं मालूम लेकिन केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन आने वाले मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय इनको लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है। मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय को नहीं पता कि किस राज्य अथवा जिले में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं।
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यह स्थिति तब है जब मुख्य श्रम आयुक्त ने अप्रैल के दूसरे सप्ताह में देश के 20 क्षेत्रीय कार्यालयों को सर्कुलर भेजकर तालाबंदी की वजह से फंसे प्रत्येक प्रवासी मजदूर की तुरंत गणना करने को कहा था।
देशभर में 25 मार्च से तालाबंदी की घोषणा के बाद से अलग-अलग राज्यों में प्रवासी मजदूर जहां-तहां फंसे हैं। बहुत से राज्यों में प्रवासी मजदूरों का धैर्य जवाब दे रहा है। वे अपने घर जाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बहुत से मजदूर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल ही नाप रहे हैं। किस राज्य में कितने मजदूर फंसे हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
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इस संकट के दौर में मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय ने 8 अप्रैल 2020 को एक सर्कुलर जारी किया जिसमें देशभर के 20 क्षेत्रीय कार्यालयों से लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा एकत्र करने को कहा गया।
यह आंकड़ा जिलेवार और राज्यवार इकट्ठा करना था। ये आंकड़े किस प्रारूप में एकत्र किए जाएंगे, इसकी जानकारी भी सर्कुलर में दी गई थी। क्षेत्रीय कार्यालयों को कहा गया था कि वे तीन दिन में आंकड़े एकत्र कर मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय को भेज दें।
दरअसल यह खुलासा एक आरटीआई के माध्यम से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के वेंकटेश नायक ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय से राज्यों द्वारा एकत्र किए गए प्रवासी मजदूरों के बारे में जानकारी मांगी।
5 मई 2020 को कार्यालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने एक लाइन में जवाब दिया कि यह जानकारी उपलब्ध नहीं है।
इस मामले में वेंकटेश नायक कहते हैं कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी का जवाब प्रवासी मजदूरों के आंकड़े की उपलब्धता पर सवाले खड़े करता है। ऐसा तब है जब प्रवासी मजदूरों की तत्काल गणना का आदेश जारी हुआ है।
नायक सवाल उठाते हैं कि क्या केंद्रीय श्रम आयुक्त एवं अन्य पब्लिक अथॉरिटी के पास लॉकडाउन से फंसे प्रवासी मजदूरों का सही आंकड़ा नहीं है? अगर आंकड़ा उपलब्ध है तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? वेंकटेश नायक ने अब मुख्य सूचना आयोग में शिकायत दायर कर जल्द सुनवाई की मांग की है।
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