न्यूज डेस्क
कहते है समय से बड़ा बलवान कोई नहीं होता। किसी भी घटना का समय ही सबसे बड़ा साक्षी और गवाह होता है। ऐसा ही कुछ पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम के मामले में हो रहा है। चिदंबरम ने कभी सपने में नहीं सोचा होगा कि जहां वह विशिष्ठ अतिथि बनकर गए थे वहीं आरोपी बनकर उन्हें रात काटनी होगी।
यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान 30 जून 2011 को सीबीआई के नए दफ्तर का उद्घाटन हुआ था। इस कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे और तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम विशिष्ट अतिथि। उस समय तामझाम के साथ चिदंबरम कार्यक्रम में पहुंचे थे और ठीक आठ साल बाद बुधवार को उसी सीबीआई दफ्तर में सीबीआई अधिकारियों के घेरे में चिदंबरम बतौर आरोपी पहुंचे। इसी दफ्तर के लॉकअप में उन्हें रात बितानी पड़ी और अफसरों के सवालों का जवाब दिया।
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गौरतलब है कि बुधवार को पूरे दिन भ्रामक स्थिति बनी रही। सुप्रीम कोर्ट के हाथ खड़े करने के बाद सीबीआई ने चिदंबरम के खिलाफ आउटलुक नोटिस जारी कर दिया तो वहीं चिदंबरम प्रेस के सामने आए और खुद को बेगुनाह बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें फंसाया गया था।
पी. चिदंबरम ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया केस में उनके ऊपर कोई आरोप नही हैं। पिछले 24 घंटे में उनके बारे में बहुत तरह के भ्रम फैलाए गए। इस मामले में उनके और परिवार के खिलाफ कोई चार्जशीट नहीं है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बुनियादी आजादी है। चिदंबरम ने कहा कि अगर उन्हें जिंदगी और आजादी के बीच में चुनने कहा जाए तो वे आजादी चुनेंगे।
चिदंबरम पीसी करके अपने घर गए और उसके बाद सीबीआई अधिकारी उनके घर पहुंचे और बड़े ही नाटकीय तरीके से पूर्व वित्तमंत्री को गिरफ्तार कर लिया।
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