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इस बार छठ की पूजा दो नवंबर मनाई जा रही है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी से इसकी शुरुआत हो जाएगी। पूरे चार दिन तक यह व्रत चलता है। यह ज्यादातर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा अर्चना की जाती है।
इस व्रत को करने वाले को 36 घंटे तक निर्जल और निराहार रहकर करते हैं। इस दिन लोग पवित्र जलाशय में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद छट की पूजा करते है।
छठ व्रत कथा
ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में प्रियव्रत नाम का एक राजा था। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इससे वो दोनों बहुत दुखी रहते थे। एक दिन उन्होंने संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इसके फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं।
नौ महीने बाद संतान सुख की प्राप्ति हुई तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। जब इस बात का पता राजा को चला तो वो काफी दुखी हुआ। उन्होंने आत्महत्या का मन बना लिया। लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं।
देवी ने राजा को बताया कि मैं षष्टी देवी हूं। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। साथ ही जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी। देवी की इन बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया।
उसके बाद राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा।