राजेन्द्र कुमार
यूं तो सिग्नेचर बिल्डिंग यानि की पुलिस मुख्यालय और लोकभवन में बैठने वाले गृह विभाग के साहबों में कोई आपसी टकराव नही है। रोज ही डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह के बीच तमाम अहम मसलों पर चर्चा होती हैं। एक मत से फैसलें भी होते हैं। सतर्कता निदेशक के पद पर रामाशास्त्री की तैनाती इसका सबूत है।
डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह ने एकमत से उन्हें सतर्कता महकमें का दायित्व सौपने के यह फैसला किया। फिर भी कुछ मामले ऐसे हैं, जिन पर सिग्नेचर बिल्डिंग के अफसर और गृह विभाग के अधिकारी एकमत नही हो पा रहें हैं।
यह मसला है, जिलों में तैनात अफसरों को हटाने का। तथा डीजी स्तर के पदों पर सीनियर अफसरों की तैनाती का। बीते एक सप्ताह से इस मसले पर सिग्नेचर बिल्डिंग और गृह विभाग की अफसर जिले से हटाए जाने वाले पुलिस कप्तान, डीआईजी, आईजी और एडीजी जोन आदि की सूची बना रहें है लेकिन कोई फ़ाइनल सूची तैयार नही हो पा रही हैं।
जिलों के जिन अफसरों को सिग्नेचर विल्डिंग से अफसर हटाना चाहते हैं, उनमें से कई को हटाने पर शासन सहमत नही है। ऐसा ही हाल डीजी स्तर के पदों पर अफसरों की तैनाती का है। जवाहर त्रिपाठी अगस्त में रिटायर्ड हो रहें है। इसके अलावा एसआईटी, फायर ब्रिगेड, सुरक्षा आदि का चार्ज दूसरे अफसरों के पास है। इन पदों पर अफसरों की तैनाती होनी है, पर इसे लेकर भी एक राय नही बन पा रही है।
बताया जा रहा है कि बीते चार महीनों से डीजीपी राज्य के हर जिले में तैनात पुलिस कप्तान, डीआईजी, आईजी और एडीजी जोन आदि की क्षमताओं का आंकलन कर रहें हैं। इसके आधार डीजीपी कई अफसरों को जिलों से हटाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें वह सुस्त मानते हैं।
डीजीपी का तर्क है कि जल्दी ही सूबे में पंचायत चुनाव होंगे फिर विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो जायेगी। इस लिए अभी से जिले में चुस्त और संयमी अफसरों की तैनाती ही जाये, ताकि वह समय रहते जिले की जरूरतों को समझ कर कानून व्यवस्था को ठीक रखने की जिम्मेदारी सही तरीके से संभाल सके।
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अब डीजीपी की राय के अनुसार अफसरों को हटाने के लिए गृह विभाग में मंथन हो रहा है। कहा जा रहा है की जल्दी ही इस मामले में एकमत होकर फैसला ले लिया जाएगा। यानि बड़ी संख्या में जिलों में तैनात आईपीएस अफसरों की तैनाती बदलेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं , यह उनका गपशप कालम है)