- चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो गई है
- पूरे देश में जश्न शुरू हो चुका है
- अब तक अमेरिका, चीन और USSR ही ये कारनामा कर चुके हैं
जुबिली स्पेशल डेस्क
बुधवार का दिन पूरे भारत के लिए खास बन गया जब भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत ने नया इतिहास रचते हुए चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है।
इसके बाद तो पूरे देश में जश्न का माहौल है। लोग सुबह से इस खास पल का इंतेजार कर रहे थे और आखिरकार वो पल आ गया और 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के 16 हजार वैज्ञानिकों की मेहनत की वजह से बुधवार को भारत ने इतिहास रच दिया है। इसरो के मिशन मून चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग हुई है. 23 अगस्त (बुधवार) को शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 चांद की सतह पर उतरा है।
कुछ इस तरह हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग?
- विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की. अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे. यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक।
- 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी. अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था।
- 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था।
- 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे।
#WATCH | Indian Space Research Organisation’s (#ISRO) third lunar mission #Chandrayaan-3 makes soft-landing on the moon pic.twitter.com/te2a7XoLSP
— The Times Of India (@timesofindia) August 23, 2023
- 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच।
- 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच.
- 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी।
- चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी।
#WATCH | Indian Space Research Organisation’s (ISRO) third lunar mission Chandrayaan-3 makes soft-landing on the moon pic.twitter.com/vf4CUPYrsE
— ANI (@ANI) August 23, 2023
ऐसा रहा सफर…
6 जुलाई: ISRO की तरफ से चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करने की जानकारी दी गई. एजेंसी ने बताया कि मिशन को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा.
7 जुलाई: लॉन्च पैड व्हीकल का सफल निरीक्षण हुआ. इस तरह चंद्रयान-3 मिशन लॉन्चिंग के लिए एक कदम आगे बढ़ा.
11 जुलाई: 24 घंटे तक चलने वाली प्रोसेस की तैयारी पूरी तरह से सफल रही.
14 जुलाई: चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा से GSLV Mark 3 (LVM 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल के जरिए दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया गया. इस तरह चंद्रयान मिशन ने चांद तक के सफर की शुरुआत की.
15 जुलाई से 22 जुलाई: चंद्रयान मिशन ने आठ दिनों के भीतर ऑर्बिट-रेजिंग मैन्यूवर को सफलतापूर्वक पूरा किया. कुल मिलाकर चार ऑर्बिट-रेजिंग मैन्यूवर पूरे हुए. इसके जरिए मिशन धीरे-धीरे चांद की ओर रवाना हो गया.
1 अगस्त: इस दिन चंद्रयान को चंद्रमा के ऑर्बिट की तरफ भेजा गया. इस तरह अब वह चंद्रमा की ग्रेविटी का इस्तेमाल कर लैंडिंग की तैयारी में जुट गया.
5 अगस्त: चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक चांद के ऑर्बिट में एंटर कर गया. इस तरह मिशन अपनी कामयाबी की तरफ से बढ़ता चला गया. इस समय चंद्रयान चांद के पहले ऑर्बिट में था.
6 अगस्त से 16 अगस्त: चांद पर लैंडिंग से पहले चंद्रयान को चार ऑर्बिट-रिडक्शन मैन्यूवर पूरा करने थे. इनके जरिए ही चंद्रयान चांद की सतह के करीब पहुंचता. 10 दिनों के भीतर इन चार ऑर्बिट-रिडक्शन मैन्यूवर को पूरा किया गया.
17 अगस्त: चंद्रयान मिशन में शामिल लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ. इसके बाद चांद तक का सफर लैंडर मॉड्यूल ने अकेले ही शुरू किया.
19 अगस्त: लैंडर मॉड्यूल ने डिबूस्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया. इसके जरिए वह चांद की सतह की ओर करीब बढ़ता गया.
20 अगस्त: इसरो ने दूसरे डिबूस्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया और लैंडर मॉड्यूल चांद से 25 किमी की दूरी तक ही रह गया. इसके बाद इसरो ने पूरा फोकस लैंडिंग पर लगा दिया.