न्यूज डेस्क
इसरो के महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग तकनीकी वजहों से रोक दी गई है। मिशन के लॉन्च की संशोधित तारीख अगले दस दिनों तक नहीं आएगी, क्योंकि ईंधन को खाली करने और जीएसएलवी एमके-3 की जांच में समय लग सकता है।
इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा कि जीएसएलवी-एमके3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई है। लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। इस रुकावट की वजह से इसरो वैज्ञानिकों की 11 साल की मेहनत को छोटा सा झटका लगा है।
लॉन्च व्हीकल में तकनीकी खराबी
चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण मंगलवार 2:51 मिनट पर होना था, लेकिन काउंटडाउन शुरू होने से 56 मिनट 24 सेकेण्ड पहले इसे रोक दिया गया। इसरो ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि लॉन्च व्हीकल में तकनीकी खराबी के चलते प्रक्षेपण रोका गया। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह जल्द ही नई तारीख की घोषणा करेगा।
सूत्रों के हवाले से बताया कि इस प्रक्रिया में 10 दिन से अधिक का समय लग सकता है। रिपोर्ट में कहा गया,
“क्रायोजेनिक ईंधन लोड होने के दौरान तकनीकी खराबी देखी गई थी। खराबी का पता लगाने के लिए पहले व्हीकल को देखना होगा। इसके लिए पहले रॉकेट से ईंधन निकालना होगा और उसके बाद रॉकेट को जांच के लिए ले जाया जाएगा। इस प्रक्रिया में 10 दिन लगेंगे, उसके बाद ही लॉन्च कार्यक्रम तय किया जाएगा।”
विशेषज्ञों की माने तो क्रायोजेनिक इंजन में लिक्विड हाइड्रोजन भरते समय सही तापमान या दबाव का न होने के वजह से ये खराबी हो सकती है, क्योंकि जिस समय काउंटडाउन रोका गया उससे ठीक पहले लिक्विड हाइड्रोजन भरने का काम पूरा हुआ था। इसके अलावा बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-एमके3 की बैटरी में दिक्कत हो सकती है।
गौरतलब है कि पिछले महीने इसरो के चेयरमैन के सिवान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मंगलवार को वैज्ञानिकों के पास चंद्रयान के लॉन्च के लिए 2:51 am से 3:01 am तक 10 मिनट हैं। अब इसरो चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की तारीख जुलाई में रख सकता है, लेकिन चंद्रमा की स्थिति बदलने के चलते अब वैज्ञानिकों के पास लॉन्च के लिए मात्र 1 मिनट का समय रहेगा।
चंद्रयान-2 मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी थी, क्योंकि इसे अमेरिकी अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्रांग के चंद्रमा पर पहली बार चहलकदमी करने के 50वीं वर्षगांठ से पांच दिन पहले लॉन्च किया जा रहा था। हालांकि ऐसा हो नहीं पाया।
चंद्रयान-2 पर कितना खर्च हुआ?
बता दें कि भारत ने मिशन चंद्रयान-2 पर करीब 140 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं, और यह सबसे सस्ते मिशन में से एक है। चंद्रयान-2 के 6 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना जताई जा रही थी। इसरो ने 2.4 टन वजनी ऑर्बिटर को ले जाने के लिए अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 को तैयार किया था। ऑर्बिटर एक साल तक चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और वहां के वायुमंडल की तस्वीरें और जानकारियां भेजेगा।
चांद के राज खोलेगा चंद्रयान-2
ऑर्बिटर को 1.4 टन के लैंडर विक्रम को ले जाना था, जिसमें 27 किलोग्राम का रोवर प्रज्ञान है, जो कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। यह रोवर चंद्रमा पर 14 दिन तक काम करेगा और चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के बारे में जानकारी देगा।
बताते चले कि 2008 में भारत का पहला चंद्रयान, चांद की धरती पर नहीं उतरा लेकिन, लेकिन उसने रडार की मदद से वहां पानी की खोज की। पिछले साल जीसैट-11 और 2013 में जीएसएलवी-डी5 की लॉन्चिंग भी टाली गई थी