जुबिली स्पेशल डेस्क
बॉम्बे हाई कोर्ट ने ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट की माने तो उनकी गिरफ़्तारी कानून के अनुसार नहीं हुई है। इस वजह से उनको रिहा करने को कहा है। कोचर दंपति को 1 लाख रुपये के बॉन्ड भरने को भी कहा गया है।
क्या है पूरा मामला
आरोप है कि जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की कमान संभाल रही थीं, तब उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था। बदले में चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी नू रिन्यूएबल को वीडियोकॉन से निवेश मिला था।
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बैंक की कर्जदार कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज द्वारा कोचर के पति की कंपनी में निवेश को लेकर गड़बड़ी के आरोपों के बाद चंदा ने अक्टूबर 2018 में इस्तीफा दे दिया था।
आरोप है कि वीडियोकॉन उद्योगों के वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर द्वारा प्रवर्तित एक फर्म को करोड़ों रुपये मुहैया कराए थे, जबकि वीडियोकॉन समूह को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से ऋण के रूप में 3,250 करोड़ रुपये मिले थे।
यह राशि 40 हजार करोड़ रुपये के ऋण का हिस्सा थी जिसे वीडियोकॉन समूह ने एसबीआई के नेतृत्व में 20 बैंकों के एक कंसोर्टियम से हासिल किया था। ईडी का आरोप है कि कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक के प्रमुख रहते हुए अवैध ढंग से अपने पति की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स को करोड़ों रुपये दिए।
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इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कोचर और उनके परिवार की संपत्ति जब्त कर ली थी । कुल संपत्ति में उनके दक्षिण मुंबई में अपार्टमेंट, शेयर और अन्य स्कीम में निवेश, बैंक खाते व पति की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स का ऑफिस शामिल थी ।